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औद्योगिक प्रदूषण मामले में सरकार ने हाईकोर्ट से मांगा एक हफ्ते का समय - Coal power plant

कोल आधारित पॉवर प्लांटों में कार्यरत कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराये जाने के मामले में सरकार ने हाईकोर्ट से और समय मांगा है. औद्योगिक प्रदूषण को लेकर पेश याचिकाओं में आज चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की डिविजन बेंच ने मामले की सुनवाई की.

Government asked for one week's time in industrial pollution case
औद्योगिक प्रदूषण मामले में सरकार ने कोर्ट से मांगा एक हफ़्ते का समय

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Published : Feb 24, 2020, 6:31 PM IST

बिलासपुर: कोल आधारित पॉवर प्लांटों में कार्यरत कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराये जाने को लेकर पेश जनहित याचिका में सरकार ने सोमवार तक जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है.

बता दें कि मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह के अंदर कर्मचारियों के स्वास्थ्य की कब-कब जांच कराई गई? इस सम्बन्ध में शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. प्रदेश के कोरबा, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ सहित अन्य जिलों में कोयला आधारित पॉवर प्लांट संचालित हो रहे हैं. यहां कोयला डस्ट और चिमनी से निकलने वाले प्रदूषण से काम करने वाले कर्मचारी बीमार हो रहे हैं. इनके उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है. नियम के अनुसार सभी पॉवर प्लांट में अस्पताल की व्यवस्था होनी चाहिए. विशेषज्ञ चिकित्सक से समय-समय पर काम करने वालों की स्वास्थ्य जांच होनी चाहिए.

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हाईकोर्ट ने औधोगिक प्रदूषण को लेकर पेश सभी याचिकाओं को क्लब कर सुनवाई प्रारंभ की है. न्यायमित्र ने सरकार पर आरोप लगाया था कि वह कोर्ट के निर्देश का सही तरीके से पालन नहीं कर रही है. मामले में केवल एमबीबीएस डॉक्टर से जांच कराकर रिपोर्ट दे रही है. किडनी, लिवर, हार्ट की जांच के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर होना चाहिए. 12 वर्ष में एक बार ही जांच की गई है.

इस मामले कि सुनवाई आज चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की डिविजन बेंच ने की.

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