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बिलासपुर: पूर्व चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल की याचिका खारिज - बिलासपुर हाईकोर्ट

पूर्व चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में फुल बेंच के फैसले को चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने न्याय मूर्तियों की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है.

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

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Published : Aug 20, 2020, 8:58 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूर्व सीबीआई मजिस्ट्रेट और व्यवहार न्यायाधीश प्रभाकर ग्वाल की याचिका को खारिज कर दिया है. ग्वाल ने फुल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए खुद को बर्खास्त किए जाने के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने न्याय मूर्तियों की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है. फुल कोर्ट ने जिन आधारों पर फैसला दिया है वह सही है.

बता दें, हाईकोर्ट के फुल कोर्ट ने 2016 को बिलासपुर सत्र न्यायालय में पदस्थ व्यवहार न्यायाधीश प्रभाकर ग्वाल को पद से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया था. छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद प्रभावित सुकमा के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल की बर्खास्तगी के बाद उनसे संबंधित मामले की सुनवाई करने वाले मजिस्ट्रेट को भी निलंबित कर दिया गया था. इसमें रजिस्टार जनरल के आदेश को भी आधार बनाया गया था. जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता की पत्नी प्रतिभा ग्वाल ने अमित दुबे समेत 18 के खिलाफ एक याचिका एसीजेएम रायपुर की अदालत में दायर की है.

जस्टिस पीसैम कोशी ने की याचिका खारिज

इन आरोपियों में पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एक सीनियर वकील का नाम भी शामिल किया गया था. अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए प्रभाकर ग्वाल ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पीसैम कोशी के सिंगल बेंच ने फुल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए ग्वाल की याचिका को खारिज कर दिया है.

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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता ने लगातार उच्च न्यायिक सेवा में पत्र व्यवहार कर शिकायतें की थी. याचिकाकर्ता ने लोअर ज्यूडिशल सर्विस की कॉलेजियम का भी विरोध किया था. सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए याचिकाकर्ता ने न्यायविदों को कटघरे में ला खड़ा किया था, जो गलत है.

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