बिलासपुर :निजी स्कूलों की मनमानी और शिक्षा के अधिकार को लेकर पेश जनहित याचिका में सोमवार को जनाधिकार परिषद ने अपनी याचिका वापस ले ली. इस याचिका में फीस नियामक आयोग का गठन करने की मांग हुई थी. इसका विधिवत गठन हो चुका है. याचिका का उद्देश्य पूरा होने के कारण इसमें अब और सुनवाई की जरूरत नहीं है. इसलिए याचिका वापस ले ली गई है.
फीस नियामक आयोग के गठन के बाद निजी स्कूलों की मनमानी को ले दायर याचिका वापस - chhattisgarh latest news
Petition filed against arbitrariness of private schools is withdrawn : निजी स्कूलों की मनमानी और शिक्षा के अधिकार को लेकर पेश जनहित याचिका में सोमवार को जनाधिकार परिषद ने अपनी याचिका वापस ले ली.
जन अधिकार परिषद दुर्ग ने हाईकोर्ट में दायर की थी जनहित याचिका
प्रदेश भर में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस लिए जाने के खिलाफ जन अधिकार परिषद दुर्ग ने अधिवक्ता बीपी सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. वर्ष 2013 से चल रहे इस मामले में याचिकाकर्ता ने प्रदेश के स्कूलों में शिक्षण शुल्क में एकरूपता लाने के लिए फीस नियामक आयोग के गठन करने की मांग की थी. पूर्व में हाई कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूल में गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं देने व शिक्षा के अधिकार के नियम में संशोधन को लेकर पेश याचिकाओं के साथ इसे क्लब कर सुनवाई प्रारंभ की थी. परिषद के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि याचिका में फीस नियामक आयोग के गठन की मांग की गई है. इस पर शासन की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसलिए याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले की अन्य प्रकरणों से अलग कर सुनवाई करने की मांग की थी.
इसे स्वीकार करते हुए याचिका पर अलग से सुनवाई की जा रही थी. इसी बीच कोरोना के दौरान भी मनमानी फीस को लेकर कई याचिकाएं दायर हुईं. जन अधिकार परिषद के वकील बीपी सिंह ने कहा कि याचिका दायर होने के बाद करीब 7 साल तक सुनवाई चली और वर्ष 2020 में फीस (Formation of Fee Regulatory Commission in Chhattisgarh) नियामक आयोग बना. यह बड़ी सफलता है. इससे फीस में राहत मिलेगी. विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 के तहत अशासकीय विद्यालयों की फीस निर्धारण की प्रक्रिया व अभिभावकों की आपसी परामर्श को वैधानिक आधार प्रदान करने राज्य जिला एवं स्कूल स्तरीय नियम विनियमन समिति गठित की गई है.