बिलासपुर: जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में बारिश न होने से किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. पहले मानसून में देरी और अब पखवाड़े भर से बारिश नहीं हुई है. किसानों को उम्मीद थी कि सावन के महीने में बारिश जरूर होगी. लेकिन अभी तक बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी और तेज धूप के कारण तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इसके कारण बुआई हुए खेतों में भी दरारें पड़ने लगी हैं और फसल भी खराब हो रही है.
किसानों ने बताया कि मानसून में देरी के कारण बुआई भी देरी से की गई. इस समय धान की फसल में खाद डालने, बियासी या रोपाई किया जाता है. मौसम की इस बेरुखी से साधन संपन्न किसानों को अब तक विशेष फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन चिंता की लकीरें उनके भी माथे पर आने लगी हैं.
किसान के माथे पर चिंता की लकीर
तखतपुर क्षेत्र के किसानों ने ETV भारत को बताया कि लेट मानसून और अब बारिश की बेरुखी ने खेती के समय में फेरबदल कर दिया है. यह समय बियासी का होता है लेकिन बारिश के इंतजार में अभी तक बुआई भी कर पाना मुश्किल है. इसके अलावा जिन किसानों ने सूखा बोआई कर लिया है उनके खेतों में दरारें पड़ गई हैं. क्षेत्र के बुजुर्ग किसान का कहना है कि कितने भी तालाब और कुएं खुदवाए जाएं पर जब तक वर्षा नहीं होती सिंचाई और जीवन कैसे चलेगा.
क्या कहता है दस वर्षों का आंकड़ा, पिछले 10 वर्षों की बारिश की परिमाण पर नजर डालें तो-
- पेंड्रा में 285mm की अपेक्षा सिर्फ 110mm
- गौरेला में 336mm की तुलना में अब तक 135mm
- जबकि मरवाही में सामान्य बारिश 400 mm से अब तक मात्र 78 mm बारीश दर्ज की गई है. असामान्य बारिश की हालात को दखते हुए प्रशासन ने किसानों को फसल बीमा कराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सोसायटी को निर्देश दिए हैं.
किसानों को शुष्क खेती करने की सलाह
मौसम विभाग द्वारा लगाए गये अनुमान के गलत होने से कृषि अधिकारी ने किसानों को शुष्क खेती करने की सलाह दी है. बारिश नहीं होने से पानी के अभाव को देखते हुए कृषि अधिकारी ने किसानों को धान के फसल की जगह दलहन, तिलहन की फसल उगाने को कहा और बताया कि इन फसलों में पानी की मात्रा कम लगती है.