बिलासपुर:छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से उन लोगों को विधिक सहायता प्रदान की जाती है. जिनके पास अपने केस लड़ने के लिए वकीलों को फीस देने के पैसे नही होते. इसके अलावा राज्य की महिलाओं के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लीगल एडवाइज देकर उन्हें कानून में मिले अधिकारों की जानकारी देती है.
18 जिलों में लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम की स्थापना:कार्यक्रम में चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी ने कहा कि "नालसा के निर्देशों के अनुरूप छत्तीसगढ़ के 18 जिलों में लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम की स्थापना की जा रही है. जिसमें बिलासपुर जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इसे प्रारंभ किया जा चुका है. बांकी के बचे 17 जिलों में इसका शुभारंभ कार्यक्रम वर्चुअल मोड से किया है गया. भारतीय संविधान की धारा 39ए कमजोर और वंचित वर्ग के आखिरी व्यक्ति को न्याय का लाभ प्रदान करने के निर्देश देती है. इसी लिए इस क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्धन व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान करें."
कमजोर वर्ग को लीगल सहायता मिलेगी:जस्टिस गौतम भादुड़ी ने कहा कि "जज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा इस अवसर पर यह व्यक्त किया गया. पहले अभियोजन की ओर से शासन की पैरवी किये जाने सरकारी अधिवक्ताओं को नियुक्त किया जाता. किन्तु बदलते परिवेश में लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम के माध्यम से अब जेल में निरूद्ध या कमजोर एवं वंचित वर्ग के व्यक्तियों को फौजदारी मामलों में सक्षम एवं प्रभावी विधिक सहायता प्रदान किये जाने हेतु इस सिस्टम को चलाया गया है."
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यह ऐतिहासिक दिन है:सदस्य सचिव आनंद प्रकाश वारियर ने कहा कि "आज छत्तीसगढ़ राज्य एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है. यह केवल मुख्य न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कुशल नेतृत्व मार्गदर्शन में ही संभव हो सका है. लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम के लिए चयनित 86 अधिवक्ताओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राज्य न्यायिक अकादमी के सहयोग से प्रारंभ हो रहा है."