बिलासपुर:बिलासपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र में दो साल पहले जुड़े नए वार्डों में कितनी प्रॉपर्टी है. इसकी जानकारी नगर निगम को नहीं है. नगर निगम को प्रॉपर्टी की जानकारी नहीं होने की वजह से दुकान किराया के साथ ही टैक्स की वसूली नहीं होने से नगर निगम को राजस्व की हानि हो रही है. जिला पंचायत को कई बार अवगत कराने के बाद भी जिला पंचायत के अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं. अब निगम राज्य सरकार को मामले में पत्र लिखेगी.
दरअसल, बिलासपुर नगर निगम को बी ग्रेड के दर्जे में शामिल करने के लिए कवायद शुरू हो गई है. नगर निगम सीमा क्षेत्र में जुड़े एक नगरपालिका, दो नगर पंचायत और 15 गांव को जोड़ा गया था. इनके जुड़ने से नगर निगम सीमा क्षेत्र काफी बड़ा हो गया. यहां की जनसंख्या लगभग 500000 से भी ज्यादा हो गई है. अभी बिलासपुर नगर निगम को बी ग्रेड का दर्जा प्राप्त तो नहीं हुआ है लेकिन नए जुड़े वाले क्षेत्रों के विकास के लिए नगर निगम राजस्व की प्राप्ति करना चाहती है.
निगम को राजस्व की प्राप्ति के लिए नए जुड़े क्षेत्र की सरकारी जमीन के साथ ही शासकीय कॉम्पलेक्स उसके आवंटन और टैक्स की वसूली की विस्तृत जानकारी चाहिए. लेकिन यह जानकारी जिला पंचायत बिलासपुर के द्वारा नगर निगम को नहीं दी जा रही है. जानकारी के अभाव में नगर निगम यहां से प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली पूरी तरह से नहीं कर पा रही है. इसके साथ ही यहां आवंटित दुकानों का किराया और कितने दुकानों का आवंटन हुआ है और कितना खाली है. इसकी जानकारी भी नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से नगर निगम को पिछले 2 साल में करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो चुकी है.
इस मामले में बिलासपुर नगर निगम के महापौर रामशरण यादव ने बताया ''बिलासपुर कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ से कई बार मौखिक और पत्राचार के माध्यम से जानकारी मांगी गई है. लेकिन उनके द्वारा किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी जा रही है. जिसकी वजह से इस क्षेत्र का विकास भी नहीं किया जा रहा है. यदि नए जुड़े वार्डों की पूरी जानकारी मिल जाए तो राजस्व बढ़ाने के साथ ही विकास की गति भी तेज हो जाएगी."
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नगर निगम क्षेत्र में जुड़े नए वार्डों की जानकारी नहीं मिलने को लेकर जहां एक तरफ निगम प्रशासन इन वार्डों का विकास नहीं कर पा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ वार्डों में बढ़ती समस्या से आम जनता परेशान हो गई है. इस मामले में जिला पंचायत के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई. तो वह मामले में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया गया. अधिकारियों का कहना है कि शासन के आदेश के बाद जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा नए जुड़े क्षेत्र के जिन पंचायतों में शासकीय संपत्ति है. उनका सर्वे कराकर लिस्ट तैयार की जा रही है. पंचायतों के पुराने फाइल और दस्तावेजों की जांच की जा रही है.
करोड़ों की शासकीय संपत्ति पर है बेजाकब्जा: निगम के अधिकारी और पंचायतों के जनप्रतिनिधियों की मानें तो नए जुड़े वार्डों में एक नगरपालिका, दो नगर पंचायत और 15 गांव है. जिसकी सरकारी संपत्ति पर रसूखदार बेजा कब्जा धारियों ने कब्जा कर रखा है. इन रसूखदरों के सामने शासकीय अमला बौना साबित हो रहा है. ऐसे में राज्य शासन की अगुवाई में बेजा कब्जा धारियों को हटाने की मुहिम चलाई जाए, तो करोड़ों रुपए की शासकीय संपत्ति कब्जा मुक्त हो जाएगी.