बिलासपुर: कोरोना संक्रमण की वजह से भले ही आज पूरा विश्व दहशत में क्यों ना हो, लेकिन अब तक इस कोरोना काल ने हमें कुछ सीख भी दी है. कोरोना वायरस ने भले ही आज जनजीवन को प्रभावित किया है लेकिन इससे पर्यावरण को बेहद राहत पहुंची है. लॉकडाउन की वजह से बने प्राकृतिक संतुलन ने इंसान और प्रकृति के बीच उस रिश्ते को फिर से जोड़ दिया है जिसे इंसान ने अंधाधुन्ध विकास के नाम पर खो दिया था. वहीं इस बड़ी बात ये है कि गर्मी के दिनों में जहां लोगों को पानी की किल्लतों का सामना करना पड़ता था, उससे लोगों को राहत मिली है.
पर्यावरण के जानकार नंद कश्यप बताते हैं कि कोविड-19 के इस दौर ने इंसान इंसान को आत्मनिरीक्षण का अवसर दिया है. हमने देखा कि सारी दुनिया में लॉकडाउन के कारण तकरीबन 25 से 30 फीसदी तक वायु प्रदूषण में कमी आई है. मौसम वैज्ञानिकों ने साल 2020 को सबसे गर्म साल होने का अनुमान लगाया था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कोविड-19 के कारण जो दुनिया पूरी थम सी गई थी, उससे प्रकृति में संतुलन बना है. इस दौरान किसी ना किसी रूप में ईंधन का जलना कम हुआ है, 30 से 40 फीसदी ईंधन कम जलने के कारण हवा में कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा में कमी आई है. जिससे तापमान में भी फर्क पड़ा है.
पढ़ें:SPECIAL: प्रकृति से इतना प्रेम कि इस अधिकारी ने घर को ही बना लिया गार्डन
तापमान में आया फर्क
बिलासपुर शहर की बात करें तो बिलासपुर शहर में बीते साल 2017 में 49 डिग्री का रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया था. बीते दो सालों में गर्मी लगातार बढ़ रही थी. लेकिन इस साल मई महीने में सिर्फ एक दिन शहर का तापमान 45 डिग्री तक रहा. जिसके बाद से तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की गई. अब तक के कोरोना के सफर ने उस मिथ को तोड़ दिया है जिसमें अंधाधुंध विकास को ही विकास माना जाता है.