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नान घोटाला में 2011 से 18 के बीच 12 लाख टन धान हुआ गायब: याचिकाकर्ता - जनहित याचिकाओं पर सुनवाई

बहुचर्चित नान घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिकाओं में से एक पर शुक्रवार को सुनवाई की हुई है. कोर्ट का ध्यान इस ओर भी खीचा गया कि खरीदी किए गए लगभग 12 लाख टन धान का कोई हिसाब नहीं है. कोर्ट में मामले में सुनवाई के लिए अगले शुक्रवार का समय दिया है.

Demand for re-investigation in Naan scam
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय

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Published : Jan 16, 2021, 3:12 AM IST

बिलासपुर:छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय के स्पेशल बेंच में बहुचर्चित नान घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिकाओं में से एक पर शुक्रवार को सुनवाई की हुई है. इस दौरान याचिकाकर्ता और अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव अपनी ओर से पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट में एक चार्ट प्रस्तुत कर बताया कि साल 2011 से 2018 के बीच 5 करोड़ 40 लाख टन धान की खरीद हुई थी. जिसमें से केवल 5 करोड़ 28 लाख टन धान ही मिलिंग के लिए राइस मिल पहुंचा.

उन्होंने कोर्ट का ध्यान इस ओर भी खीचा कि इन सालों में खरीदी किए गए लगभग 12 लाख टन धान का कोई हिसाब नहीं है. इसका हिसाब कागजों से गायब है. सुदीप श्रीवास्तव ने जिरह के दौरान कोर्ट में कहा कि नान घोटाले में केवल 2014-15 की अवधि की जांच की गई है, जबकि जांच काम से काम 2011-12 से होनी चाहिए. इसके अलावा सुदीप ने एसीबी के पूर्व अधिकारियों पर आरोपियों को बचाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी की है.

पढे़ं:नान घोटाला : 30 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

दोबारा जांच की हो रही मांग

बता दें कि नान घोटाले में एसीबी ने ताबड़तोड़ छापामार कार्रवाई की थी. एसीबी के छापे में से जो साक्ष्य एकत्रित किए उसमें सही तरीके से जांच नहीं की गई. कोर्ट में इसे लेकर कई याचिकाएं दायर हैं. जिसमें मांग की गई है कि नान घोटाले की जांच दोबारा एसआईटी या कोर्ट की निगरानी में की जाए. शुक्रवार की बहस के बाद कोर्ट में मामले में सुनवाई के लिए अगले शुक्रवार का समय दिया है.

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