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पेंड्रा: मनरेगा का पैसा डकार गए जिम्मेदार, शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

पेंड्रा जनपद पंचायत के कुड़कई ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत भूमि समतलीकरण के लिए स्वीकृति मिली थी. जिसमें गरीब परिवारों को काम दिया जाना था, इसके लिए तकरीबन एक लाख रुपये की स्वीकृति मिली थी, जिसे जिम्मेदारों ने मिलीभगत कर डकार गए. इस केस में लापरवाह अधिकारियों पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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पेंड्रा के कुड़कई ग्राम पंचायत में भूमि समतलीकरण काम में फर्जीवाड़ा

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Published : Sep 6, 2020, 6:22 PM IST

Updated : Sep 6, 2020, 9:30 PM IST

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही:पेंड्रा जनपद पंचायत में कोरोना काल के बीच मनरेगा के हितग्राही मूलक कार्य में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. जहां पर पेंड्रा जनपद के कुड़कई ग्राम पंचायत में भूमि समतलीकरण के काम में अधिकारियों ने मिलकर तकरीबन 1 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया है. जनपद पंचायत के अधिकारियों पर आरोप है कि बिना काम कराए भुगतान करा लिया. फर्जीवाड़ा के खुलासे के बाद रातों-रात जेसीबी मशीन से काम कराकर फर्जीवाड़े को छुपाने का प्रयास किया गया.

मनरेगा का पैसा डकार गए जिम्मेदार

दरअसल, पेंड्रा जनपद पंचायत के कुड़कई ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत भूमि समतलीकरण के लिए जनवरी 2020 में स्वीकृति मिली थी. स्वीकृति के बाद रोजगार सहायक, तकनीकी सहायक, ग्राम पंचायत सचिव और सरपंच की मिलीभगत से कार्य को पूरा कराए बिना भुगतान करा लिया गया. मामले की जानकारी जब ग्रामीणों को लगी तो उन्होंने मीडिया से आपबीती बताई.

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ग्रामीणों से गाली-गलौच और मारपीट

जनपद के अधिकारियों ने फर्जीवाड़े को छुपाने की नियत से गुपचुप तरीके से रातों-रात जेसीबी मशीन लगाकर काम कराने का निश्चय किया, लेकिन ग्रामीण पहले से ही अलर्ट मोड पर थे. रात 2 बजे जब मशीनें पहुंची और काम शुरू किया, तभी ग्रामीण पंच को लेकर मौके पर पहुंचे. जहां जेसीबी मशीन से कराए जा रहे कार्य का विरोध करने लगे. गांववालों के विरोध को देखकर जेसीबी मशीन के साथ आए लोगों ने ग्रामीणों से गाली-गलौच कर लाठियों से मारपीट की. नाराज ग्रामीणों ने 112 हेल्पलाइन को खबर दी, लेकिन रात में 112 भी नहीं पहुंची.

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जनपद के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं

मामले में जनपद के अधिकारियों से जानकारी ली गई, तो वह भी चुप्पी साध लिए. हालांकि ग्रामीण मामले को लेकर काफी गुस्से में हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जनपद सीईओ से शिकायत किए थे, लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है. फिलहाल जिम्मेदार कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

अधिकारियों ने की फर्जीवाड़ा

बता दें कि मनरेगा का कोई भी कार्य जब चलता है, तब उसकी निगरानी ग्रामीणों के साथ-साथ पंच और सरपंच की होती है. साथ ही कार्य के दौरान जनरेट मास्टर रोल में रोजगार सहायक, सचिव, तकनीकी सहायक, परियोजना अधिकारी, मनरेगा और जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी की निगरानी में होती है. मस्टर रोल में सभी के हस्ताक्षर होते हैं, उसके बाद ही भुगतान किया जाना संभव है, लेकिन बिना कार्य किए इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो जाना अधिकारियों की मिलीभगत के बिना असंभव है.

Last Updated : Sep 6, 2020, 9:30 PM IST

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