बिलासपुर:कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने हर तबके को नुकसान पहुंचाया है. सबसे ज्यादा दु:ख तो हर रोज कमाने-खाने वालों के हिस्से आए हैं. प्रवासी मजदूरों का रोजगार छिना तो वे घरों की तरफ लौट गए. ट्रेनों का संचालन रुका तो कुलियों की जिंदगी से हंसी छिन गई. जेब खाली, दूसरा कोई रोजगार नहीं. ETV भारत ने जब व्यथा जानी, तो बोले कुछ नहीं चाहिए बस दूसरा काम मिल जाए. भीख मांगकर, कर्ज लेकर कितने दिन रहेंगे. बिलासपुर के कुलियों का हाल बहुत खराब है.
बिलासपुर रेलवे स्टेशन से करीब 151 कुलियों के परिवार का पेट पलता है. किसी के परिवार में 10 लोग हैं, तो किसी की फैमिली में 14 लोग. उनका कहना है कि बस अब कैसा भी काम मिल जाए, परिवार का पेट पालने के लिए कुछ भी कर लेंगे. बिलासपुर में रहने वाले कुली दिलीप कुमार के घर चावल के अलावा कुछ और नहीं. जब से लॉकडाउन लगा तब से सिर्फ सरकार की तरफ से मिलने वाले चावल और दाल के सहारे हैं. न बच्चों के लिए सब्जी ला पाते हैं और न दूध. हाल ये है कि बच्चे पानी और चावल खाने को मजबूर हैं. दिलीप की पत्नी ने वो खाली बर्तन दिखाए, जिसमें वो कभी सामान रखा करती थी. इनका बस इतना ही कहना है कि रेलवे की तरफ से या तो कुछ मदद हो जाए या फिर दूसरा रोजगार मिल जाए. जिससे परिवार का पेट पाल सकें. इनके लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो रहा है.
कर्ज लेकर पाल रहे हैं परिवार
ETV भारत ने बिलासपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर काम करने वाले कुलियों से उनकी आपबीती जानी. करीब ढाई महीने के लॉकडाउन के बाद सरकार ने अनलॉक की घोषणा भले कर दी, लेकिन स्थिति अभी भी दयनीय है. ट्रेनें गिन कर चल रही हैं. कुली यात्रियों की राह ताकते हैं लेकिन ज्यादातर दिन खाली हाथ ही घर लौटना पड़ रहा है. किसी ने कहा कि भीख मांगने की नौबत आ गई है, तो किसी ने कहा कि कर्ज लेकर दो वक्त का निवाला नसीब हो रहा है. कुली संघ के जिलाध्यक्ष गणेश राम यादव का कहना है कि अभी की स्थिति ऐसी है कि बहुत मुश्किल से कुछ लोगों को कभी-कभी काम मिल रहा है और ज्यादातर लोग निराश होकर ही लौट रहे हैं.