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बिलासपुर: एनीकट में मछली पालन करने को लेकर विवाद, ग्रामीण लगा रहे सरपंच पर आरोप - बिलासपुुर की खबरें

एनीकट में मछली पालन करने को लेकर वाद-विवाद की स्थिति पैदा हो गई है. सरपंच पर आरोप है कि शासन के द्वारा मछुआ समिति को 10 वर्षीय पट्टे पर दिए जाने के बाद भी ग्राम पंचायत जोंधरा में अवैध रूप से कब्जा कर एनीकट में जबरजस्ती मछली मारा जा रहा था.

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एनीकट में मछली पालन करने को लेकर विवाद

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Published : Oct 30, 2020, 10:36 AM IST

बिलासपुर:बलौदा बाजार और बिलासपुर सीमा क्षेत्र के अंतिम छोर पर मस्तूरी क्षेत्र के शिवनाथ नदी में बने पंडरिया जोंधरा एनीकट को शिवनाथ नदी मछुआ समिति, आदर्श मछली समिति पंडरिया और बलौदा बाजार के संचालनालय मछली पालन को संयुक्त रूप से पत्र जारी कर मछली पालन और मत्स्याखेट करने के लिए एनीकट को 45 हजार रुपए प्रतिवर्ष लीज राशि पर दिया गया है. सरपंच पर आरोप है कि शासन के द्वारा मछुआ समिति को 10 वर्षीय पट्टे पर दिए जाने के बाद भी ग्राम पंचायत जोंधरा में अवैध रूप से कब्जा कर एनीकट में जबरजस्ती मछली मारा जा रहा था.

एनीकट में मछली पालन करने को लेकर विवाद

मछुआ समिति की शिकायत पर मत्स्य विभाग बिलासपुर के उप संचालक एस.के.अहिरवार मत्स्य विभाग और पुलिस की टीम बनाकर पचपेड़ी थाना प्रभारी सुनील तिर्की के साथ जोंधरा- पंडरिया एनीकट पर पहुंचे. सरपंच पति उत्तरा रात्रे, उप सरपंच और पंचो को बुलाकर एनीकट में लगे जाल को निकलवाया गया और ग्राम पंचायत के कब्जे से शिवनाथ नदी मछुआ समिति के सदस्यों को एनीकट पर कब्जा दिलवाया गया.

सरपंच ने दी आंदोलन करने की चेतावनी

शासन के नियमानुसार मत्स्याखेट का निर्देश दिया गया, लेकिन ग्राम पंचायत जोंधरा के सरपंच पति उतरा रात्रे और उप सरपंच ने कुछ पंचो को साथ में लेकर अधिकारियों के समक्ष यह विवादित तर्क रखा कि एनीकट पर पानी निकासी के लिए बने गेट में समिति के द्वारा मछली नहीं मारा जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो गांववालों को साथ में लेकर इनका विरोध किया जाएगा.

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उनका कहना है कि इसके पहले विगत 15 वर्षों से लेकर आज तक ग्राम पंचायत इसी तरह से एनीकट के गेट में नीचे जाल लगाकर मछली मारा जाता है. लेकिन अब वही लोग उनके हाथ से छीन जाने के बाद जल संसाधन विभाग के नियमों का हवाला देते हुए ये कह रहे हैं की मछुआ समिति को एनीकट गेट पर नीचे जाल लगाने नहीं दिया जाएगा.

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उपसंचालक ने विवाद की स्थिति निर्मित होने के बाद समिति के सदस्यों को यह कहा कि अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत रहते हुए जल भराव क्षेत्र में ही मत्स्याखेट करेंगे. लेकिन मछुआ समिति के सदस्यों का कहना है कि इसके पहले जिस तरह से मछली मारा जा रहा था. उसी तरह से ही मछली मारने पर ही समिति के सदस्यों का जीविकापार्जन हो सकेगा. अन्यथा शासन को पटाये जाने वाला लीज राशि को मछुआ समिति के सदस्यों को घर से भरना होगा और अगर ऐसा होता है तो फिर प्रदेश के बेरोजगार मछुवारों के साथ धोखा होगा.

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