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बिलासपुर में बांग्ला समाज के शताब्दी समारोह में शामिल हुए बघेल, कहा- रमन सिंह अपनी चिंता करें - भाजपा शासन में बने बस्तर में चर्च

बिलासपुर में बांग्ला समाज के शताब्दी समारोह में सीएम भूपेश बघेल शामिल हुए. उन्होंने रमन सिंह पर कई वार किए. सीएम बघेल ने कहा कि रमन सिंह अपनी चिंता करें. उनके शासनकाल में आदिवासियों की दुर्गति हो गई थी.

Bhupesh Baghel
भूपेश बघेल

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Published : Apr 15, 2023, 6:33 PM IST

Updated : Apr 15, 2023, 7:09 PM IST

बघेल ने रमन सिंह पर साधा निशाना

बिलासपुर: बिलासपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बांग्ला समाज के शताब्दी समारोह में शामिल हुए. यहां उन्होंने रमन सिंह पर कई हमले किए. सीएम ने कहा कि, "भाजपा के शासनकाल में नेता मंत्री कभी सड़क मार्ग से बस्तर नहीं जाते थे. आज बस्तर आप सड़क मार्ग से जा सकते हैं. भाजपा के समय केवल राष्ट्रीय राजमार्ग के 5 किलोमीटर के दायरे में ही सरकार थी. 15 साल तक नक्सलियों के कब्जे में बस्तर रहा. हमारी सरकार बस्तर को नक्सल मुक्त किया. पांच सौ से ज्यादा गांव हमने नक्सल मुक्त कराया है.

भाजपा शासन में बने बस्तर में चर्च: सीएम बघेल ने कहा, "बस्तर क्षेत्र में सबसे ज्यादा अगर चर्च बना तो भारतीय जनता पार्टी के शासन में बना. पहले आदमी कोई धर्म स्वीकारता है, फिर पूजा स्थल बनाता है. वहां चर्च बना तो पहले वहां क्रिश्चन बने. भाजपा नेताओं ने 15 साल में जितना चर्च बनवाया, उतना पहले कभी नहीं बना."

सिंहदेव और अम्बिकापुर के कमजोर होने के बयान पर पलटवार: रमन सिंह के सिंहदेव के कमजोर होने और अम्बिकापुर के कमजोर होने के बयान पर सीएम ने कहा, रमन सिंह को कुछ नहीं आता है. वह कुछ का कुछ बोलते रहते हैं. रमन सिंह अपनी चिंता करें. अपनी पार्टी की चिंता करें. आदिवासियों और आदीवासी नेताओं की दुर्गति रमन सिंह ने की है. अब अकेले रेणुका सिंह बच गई हैं. रामविचार, नंदकुमार, विष्णु देव साय जैसे आदिवासी नेताओं को रमन सिंह और भाजपा ने पीछे धकेल दिया है."

बंगाली परम्परा छत्तीसगढ़ जैसी: बिलासपुर में सीएम बघेल ने कहा कि "बांग्ला समाज का छत्तीसगढ़ के विकास में बड़ा योगदान है. ये समाज रेलवे के माध्यम से छत्तीसगढ़ में आए थे. जब छत्तीसगढ़ में रेलवे लाइन का विकास हो रहा था, तब बंगाली समाज के लोग अधिकारी और कर्मचारी होते थे. वही रेलवे लाइन का काम करवाते थे. इसलिए सालों तक रहने की वजह से बंगाली समाज के लोग छत्तीसगढ़ में ही बस गए. इस तरह से उनका छत्तीसगढ़ में बसना होता रहा. वे अब छत्तीसगढ़ के मूलवासी हो गए हैं. बंगाली समाज की परंपरा छत्तीसगढ़ की परंपरा जैसी है. यही कारण है कि, बंगाली समाज और छत्तीसगढ़ की परंपरा आपस में इतनी मिल गई है कि अब भाषा का हीं अंतर रह गया है.

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Last Updated : Apr 15, 2023, 7:09 PM IST

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