बिलासपुर: प्रदेश में हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों को लेकर 2013 में बनाए गए नियम और कानून का पालन नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता जनमेजय सोना ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. मामले में शासकीय अधिवक्ता ने 2013 के नियम का परिपालन करने का शासन की ओर से पक्ष रखा. इसके बाद राज्य शासन के जवाब से संतुष्ट होकर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पी.पी साहू की डिवीजन बेंच ने याचिका को निराकृत कर दिया.
हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों के मामले में याचिका हुई निराकृत - बिलासपुर न्यूज
याचिकाकर्ता जनमेजय सोना ने कोर्ट में हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों को लेकर 2013 में बनाए गए नियम और कानून का पालन नहीं किए जाने पर एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसका फैसला गुरुवार को आया है, जिसमें हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पी.पी साहू की डिवीजन बेंच ने दायर याचिका को निरस्त कर दिया है.
बता दें की रायपुर निवासी अधिवक्ता जनमेजय सोना ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने ये कहा था कि 'छत्तीसगढ़ सरकार ने 2013 में हाथों से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों के लिए पुनर्वास और उत्थान के लिए कई प्रावधान किए हैं, लेकिन इन कानून का सही पालन नहीं किया जा रहा है. याचिकाकर्ता के मुताबिक छत्तीसगढ़ के कई जिलों में आज भी कर्मचारी हाथ से मैला उठाने पर मजबूर है. कर्मचारी गटर में घुसकर काम कर रहे हैं.
उपकरणों की कमी से होती है मौत
गटर से निकल रही जहरीली गैस से उनके दम घुटने लगता है, जिससे सफाई कर्मचारी की मौत हो जाती है. उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी नहीं होने के कारण सुरक्षा के मापदंडों और जरूरी उपकरणों से वंचित होना पड़ता है. ऐसे में आए दिन मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों की मौत का मामला सामने आता रहा है.