बिलासपुर:चिटफंड कंपनियों के शिकार हुए लोगों से मिले आवेदनों को पुलिस ने जिला प्रशासन को वापस कर दिया है. बिलासपुर चिटफंड धोखाधड़ी केस में पुलिस ने जिला प्रशासन को पत्राचार कर सभी आवेदनों के जांच प्रतिवेदन संलग्न करने को कहा है. तभी धोखाधड़ी के शिकार लोगों को उनका पैसा मिल पाएगा. वहीं नए सिरे से पुलिस एफआईआर दर्ज करेगी.
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बिलासपुर में सवा लाख आवेदन
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सीएम भूपेश बघेल ने चिटफंड मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए थे. जिसके बाद धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों को उनका पैसा दिलाने की कवायद शुरू की थी. राज्य सरकार ने एक आदेश के माध्यम से धोखाधड़ी के शिकार लोगों से कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करने को कहा था. पूरे प्रदेश में 31 चिटफंड कंपनियों के माध्यम से लगभग 5 सौ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी. इसके पीड़ितों की भी लंबी लिस्ट है. बिलासपुर में इसके शिकार लोगों ने लगभग सवा लाख आवेदन किया था.
पुलिस ने बिलासपुर प्रशासन को क्यों लौटाए आवेदन?
पीएचक्यू के नए निर्देश के बाद चिटफंड मामलों से संबंधित निवेशकों के आवेदन बिलासपुर जिला प्रशासन को वापस लौटाए जा रहे हैं. जिला प्रशासन अब निवेशकों से मिले आवेदनों की पहले जांच कर प्रतिवेदन बनाएगी. जिसके बाद जांच प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस चिटफंड कंपनियों के खिलाफ नए सिरे से एफआईआर दर्ज करेगी. राज्य शासन के निर्देश के बाद प्रदेशभर में तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक चिटफंड कंपनियों में पैसा गंवाने वाले निवेशकों से पूरे ब्यौरे के साथ आवेदन मंगाए गए थे. बिलासपुर में करीब सवा लाख निवेशकों ने आवेदन जमा किया. अब आवेदनों की स्क्रूटनी शुरू की गई. करीब 10 हजार आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद कार्रवाई के लिए आवेदनों को बिलासपुर जिला पुलिस को सौंपा गया. जिसके बाद जांच प्रतिवेदन के साथ आवेदन फिर से पुलिस को सौंपे जाएंगे. जिसके आधार पर पुलिस चिटफंड कंपनियों के खिलाफ नए सिरे से एफआईआर दर्ज करेगी.
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एसएसपी पारुल माथुर ने क्या कहा ?
वहीं, बिलासपुर एसएसपी पारुल माथुर ने बताया कि, पीएचक्यू के पुलिस अधिकारियों और कलेक्टरों की बैठक के बाद ये निर्देश जारी किए गए हैं. जिसमें शिकायतों के साथ जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाना है ताकि यह प्रूफ किया जा सके कि चिटफंड कंपनियां अवैधानिक तरीके से क्षेत्र में संचालित थी. इनके द्वारा लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई है. आवेदनों के साथ जांच प्रतिवेदन पुन: एसपी को प्रस्तुत किए जाएंगे. जिसके बाद उस पर रिपोर्ट दर्ज की जाएगी. पारुल माथुर ने कहा कि अभी जो आवेदन आए हैं, उन्हें कार्रवाई कर इसे कोर्ट में जमा किया जाएगा तो यह एक सामान्य धोखाधड़ी का मामला बनेगा. इससे चिटफंड के माध्यम से धोखाधड़ी के शिकार लोगों को उनका पैसा वापस नहीं मिल पाएगा. लेकिन इसमें जांच प्रतिवेदन संलग्न किया जाएगा. उसके बाद कोर्ट के माध्यम से चिटफंड के संचालकों की संपत्ति कुर्क कर निवेशकों को पैसा वापस लौटाया जाएगा.