बिलासपुरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)का सबसे बड़ा छठ घाट(Chath Ghat) बिलासपुर (Bilaspur)के अरपा नदी (Arpa River) में है. यहां लगभग हर साल छठ पूजा के दौरान 70 हजार से अधिक श्रद्धालु छठ पूजा(Chath puja) करने आते हैं. अधिकतर उत्तर भारत के लोग यहां आते हैं. साथ ही इस पर्व के दौरान छत्तीसगढ़ के लोग भी यहां भारी तादाद में पहुंचते हैं. इस बार भी हर साल के तरह बिलासपुर के अरपा नदी में तोरवा के पास बने पुल के किनारे छटपर्व मनाने को घाट तैयार किया गया है. यहां नगर निगम और जिला प्रशासन के सहयोग से पक्का घाट निर्माण कराया जाता है. पूजा विशेष रूप से घाट के पीछे की खाली जगह में किया जाता है.
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बिहार की तर्ज पर यहां होता है छठ
बता दें कि अरपा नदी के इस भाग पर लगभग 8 सौ मीटर में पक्का घाट निर्माण कराया गया है और यहां बिहार में जिस तरह घाट पर विधिविधान से छठ महापर्व मनाया जाता है, ठीक वैसे ही यहां भी पूजा किया जाता है. निगम प्रशासन यहां की सफाई कराकर उसे तैयार करता है. हजारो की संख्या में श्रद्धालुओं के आने पर पार्किंग की व्यवस्था बनाने के लिए नदी के किनारे और आसपास की जगहों पर व्यवस्था की गई है.
उत्तर भारतीय यहां अधिक संख्या में मौजूद
बिलासपुर में इतनी बड़ी संख्या पूजा करने आने का कारण यह भी है कि यहां एसईसीएल का हेडक्वाटर, एनटीपीसी और एसईसीआर ज़ोन का हेडक्वाटर और कई संस्थान है. जहाँ उत्तर भारतीय कार्यरत है. घाट के निर्माण के लिए जिला प्रशासन और एसईसीएल के सीएसआर फण्ड से निर्माण कराया गया है. घाट की देखरेख पाटलिपुत्रा छट समिति करती है. समिति के लोगो ने बताया कि सन 2000 में यहां छठपूजा की शुरुआत हुई थी, जिसमें बहुत कम लोग ही पूजा करने पहुचते थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां 50 हजार से भी ज्यादा लोगो के लिए व्यवस्था होने लगी.जो कि धीरे-धीरे बढ़ती चली गई.
नहाय खाय से शुरु हुआ महापर्व, आज है खरना
बता दें कि बिलासपुर में भी आज से इस पर्व को मनाने वाले उत्तर भारतीयों के घरों में नहाय खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत कर चुके हैं. यहां रहने वाले उत्तर भारतीय परिवार में आज महिलाएं नहाय खाय के लिए सुबह से ही प्रसाद तैयार करने में जुट गई थी.
श्रद्धालुओं की सुविधा की तैयारी में प्रशासन
इधर छठपर्व को मनाने के लिए, श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्था देने के लिए समिति के साथ जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम लगी हुई है. माना जा रहा है इस बार भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी. साथ ही व्यवस्था बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. प्रदेश के सबसे बड़े छटघाट होने की वजह से यहा मेले जैसा माहौल रहता है पर छत्तीसगढ़ के मूल निवासी भी यहा इस माहौल का आनंद उठाने पहुचते है.