बिलासपुर: वर्ष 2019 हमें अलविदा कह इतिहास बन चुका है. साल 2020 का स्वागत दुनिया कर चुकी है. राजनीतिक हो या फिर न्यायिक बीता वर्ष कई नजरिए से अहम साबित हुआ. आइए नजर डालते हैं हाईकोर्ट के उन फैसलों पर जो 2019 में न सिर्फ लोगों की जुबान पर छाए रहे, बल्कि ढेरों सुर्खियां भी बटोरी.
बिलासपुर हाईकोर्ट का 2019 का बड़ा फैसला OBC आरक्षण पर सरकार को झटका
हाईकोर्ट की ओर से सरकार को पहला झटका आरक्षण कोटा बढ़ाने के फैसले पर लगा. सूबे की भूपेश सरकार ने OBC का आरक्षण कोटा 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का फैसला लिया था, जिसके खिलाफ लगी याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगा दी.
इस मामले में 5 से ज्यादा जनहित याचिकाएं दायर की गई थी
लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर 2019 को शासन के इस फैसले पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा.
प्रमोशन में आरक्षण पर लगाई रोक
उच्च न्यायालय ने सरकार को दूसरा झटका प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर दिया. राज्य सरकार ने नोटिफिकेश जारी कर प्रथम से लेकर चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने का ऐलान किया था, जिसपर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. हालांकि मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने न्यायलय के सामने यह माना था कि आदेश जारी करते वक्त सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं दिया गया था. मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी.
सहकारी समितियों को भंग करने का आदेश निरस्त
- सरकार को न्यायालय ने तीसरा झटका सहकारी समितियों के भंग करने के फैसले पर दिया. प्रदेशभर की सहकारी समितियों को भंग करने के राज्य सरकार के आदेश को उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया.
- 2019 में भूपेश सरकार ने राज्य भर की 1333 सहकारी समितियों को भंग करने का आदेश देने के साथ ही नई समितियों के पुनर्गठन का भी प्रावधान लाया था. सरकार के इस फैसले को प्रदेशभर की सहकारी समितियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस आदेश को निरस्त कर दिया था. बता दें कि इस मामले में 170 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर उच्च न्यायालय ने एक साथ सुनवाई की थी.
भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच NIA को सौंपी
- हाईकोर्ट ने सरकार को चौथा झटका देते हुए दंतेवाड़ा से बीजेपी के पूर्व विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच NIA को सौंपने का आदेश दिया. बता दें कि भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच राज्य सरकार की ओर से पुलिस को सौंपी गई थी. राज्य सरकार ने जहां इस मामले की न्यायिक जांच का निर्णय लिया था, वहीं केंद्र सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा NIA को सौंपते हुए अधिसूचना जारी कर दी थी.
- इस अधिसूचना में NIA एक्ट और अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार से पुलिस जांच रोकने और मामले के दस्तावेज एनआईए को सौंपने को कहा गया था, जिसके बाद NIA ने राज्य सरकार पर घटना से जुड़ी जानकारी नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में अर्जी दायर की थी, अर्जी पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मामले की जांच का जिम्मा NIA को सौंपने का फैसला सुनाने के साथ ही यह आदेश भी दिया कि राज्य सरकार मामले से जुड़े सभी दस्तावेज NIA को मुहैया कराए.
- हालांकि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के इस फैसले को राज्य सरकार ने चीफ जस्टिस की डबल बेंच में चुनौती दी थी, लेकिन डबल बेंच ने भी सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए NIA के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था.
- हाईकोर्ट ने इस साल कई ऐसे फैसले सुनाए जिनका सरोकार सीधे आम जनता से था.
सिक्के नहीं लेने पर लगी रिट याचिका
- बैंकों की ओर से सिक्के नहीं लेने पर लगी रिट याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरबीआई के अपने आधीन आने वाले सभी बैंकों को दिन भर में 100 सिक्के लेने के आदेश को हटाए जाने का आदेश दिया.
- हाईकोर्ट ने आरबीआई के सिक्के जमा करने के लिए मीट को हटाते हुए अनलिमिटेड सिक्के जमा करने का निर्देश जारी किया था, जिसके बाद RBI ने हलफनामा पेश कर सिक्के जमा करने की लिमिट हटाने की जानकारी भी हाईकोर्ट को दी थी. तो इस रिपोर्ट में हमने आपको बताया कि हाईकोर्ट के वो कौन से अहम फैसले थे, जो सालभर सुर्खियों में रहे.