बिलासपुर : हिंदी दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (chhattisgarh High Court) ने हिंदी में फैसला देकर एक नई परंपरा शुरू की है. हाईकोर्ट की जस्टिस रजनीश दुबे ने आपराधिक मामले में आरोपियों की दोष मुक्ति के खिलाफ शासन की अपील खारिज करते हुए फैसला हिंदी में (High Court gave verdict in Hindi on Hindi Diwas )सुनाया.हिंदी दिवस पर हिंदी में फैसला देने से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में नए परंपरा की शुरुआत हो चुकी है. आगे भी यह परंपरा बढ़ती रहेगी. कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई 26 जुलाई को कर ली थी और फैसला सुरक्षित रखा था.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हिंदी दिवस पर पेश की नजीर, हिंदी में सुनाया फैसला - छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हिंदी दिवस पर पेश की नजीर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हिंदी दिवस के मौके पर नजीर पेश की है. कोर्ट के मामले की सुनवाई हिंदी में करते हुए फैसला भी हिंदी में सुनाया. हाईकोर्ट में हिंदी में फैसला सुनाने के बाद अब नई परंपरा की शुरुआत हो चुकी है. जिसके बाद अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि हाईकोर्ट में कई मामलों की सुनवाई हिंदी में भी होगी. Bilaspur high Court news
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हिंदी दिवस पर हिंदी में फैसला :इस पूरे मामले का फैसला जस्टिस दुबे ने हिंदी में सुनाया. इस मामले में गुलाब सिंह वर्मा,सफदर अली,अविनाश चंद्र सौंधी के खिलाफ कोर्ट में केस किया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए हुए विशेष न्यायाधीश एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश बिलासपुर ने 10 अप्रैल 2022 को सभी अभियुक्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के आरोप से दोषमुक्त किया. दोषियों के दोषमुक्त होने के खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट में अपील की (Bilaspur high Court news) थी.
कोर्ट का आदेश : मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस रजनीश दुबे ने कहा '' न्यायालय ने साक्ष्य और मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य की विवेचना करते हुए जो निर्णय दिया है वह प्रकरण में आए साक्ष्य के आधार पर विधि एवं तथ्य के अनुरूप है. आपराधिक विधि का यह विस्थापित सिद्धांत है कि जहां दो निष्कर्ष संभव हो वहां अपीलीय न्यायालय दोष मुक्ति के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. इस प्रकरण में अधिनियम अभियोजन अपना प्रकरण प्रमाणित करने में पूर्ण रूप से असफल रहा है. इसके साथ ही अपील निरस्त कर दी गई.'' यह निर्णय हिंदी में जारी किया गया है.