बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है. इस फैसले से आने वाले समय मे न्याय के कई रास्ते खुलेंगे. इस फैसले से भविष्य में कई लोगों को फायदा मिलेगा. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अनुकंपा नियुक्ति के एक महत्वपूर्ण मामले में प्रस्तुत राज्य शासन की अपील को बुधवार को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को यथावत रखते महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि, अगर किसी परिवार में बेटे की मौत हो जाती है और उसकी मां शासकीय सेवा में है, तब भी उसकी पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि बेटे की मौत के बाद उसकी मां को परिवार के सदस्य के रूप में नहीं माना जा सकता. इसलिए मृतक की पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए.
क्या था पूरा मामला ?
पूरा मामला बस्तर की मुनिया मुखर्जी के पति उदीप्तो मुखर्जी से जुड़ा है. जो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में तृतीय श्रेणी के कर्मचारी थे. सर्विस में रहते हुए 30 अगस्त 2020 को कोरोना की वजह से उनकी मौत हो गई. पति की मौत के बाद मुनिया ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विभागीय अधिकारियों को आवेदन पत्र सौंपा. लेकिन विभाग ने उनके आवेदन पत्र को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य शासन ने वर्ष 2013 में अनुकंपा नियुक्ति नियम में संशोधन किया है. इसके अनुसार दिवंगत कर्मचारी के आश्रित परिवार के सदस्य शासकीय सेवा में है तो उन्हें अनुकंपा नियुक्ति का पात्र नहीं माना जा सकता.
इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए मुनिया मुखर्जी ने याचिका दायर की थी. सिंगल बेंच ने याचिका स्वीकार कर महिला को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में अपील प्रस्तुत कर अनुकंपा नियुक्ति का विरोध किया. कोर्ट ने पति की मौत के बाद पत्नी को आश्रित सदस्य मानकर अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश देते हुए राज्य शासन की अपील खारिज कर दी और सिंगल बेंच के आदेश को यथावत रखा है.