बिलासपुर:छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर विकास प्राधिकरण (RDA) के सफाई कर्मचारी को बर्खास्त किए जाने के आदेश को गलत मानते हुए रद्द कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी सफाई कर्मचारी को इस तरह से बेरोजगार होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है. इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सफाई कर्मचारियों के काम नहीं करने की सूरत में वेतन नहीं देने के मामले पर जांच का आदेश दिया था.सिंगल बेंच के इस आदेश में बदलाव करते हुए चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने कर्मचारी की अपील स्वीकार करते हुए उसे दोबारा नियुक्त करने का आदेश दिया है. साथ ही RDA की अपील खारिज कर दी है.
याचिकाकर्ता खिरोद सोनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने बताया कि RDA में वह दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मचारी के रूप में 1982 में नियुक्त हुआ था. 11 अगस्त 1995 को वर्क चार्ज में उसे नियमित कर दिया गया. बाद में 706 दिन अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के कारण 26 मई 2012 को आरोप पत्र जारी कर उसे 1 अक्टूबर 2012 को बर्खास्त कर दिया गया. याचिकाकर्ता ने अपने सेवा समाप्ति की कार्रवाई को चुनौती दी थी.
सरकार सुनिश्चित करे कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की न हो मौत: हाईकोर्ट
पूरे मामले को सुनने के बाद 15 अप्रैल 2019 को हाईकोर्ट ने सेवा समाप्ति की कार्रवाई को अवैध बताकर नौकरी पर फिर से रखने का आदेश दिया.कोर्ट ने यह भी कहा कि बर्खास्तगी से नौकरी पर दोबारा रखने तक का वेतन नहीं मिलेगा, नियुक्तिकर्ता चाहे तो दोबारा जांच कर सकते हैं.