बिलासपुर : 2003 में जोगी सरकार को हटाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बैनर पर पूरे 90 सीटों पर चुनाव लड़वाया था. उसी तरह इस बार भी जेसीसीजे ने पूरे 90 विधानसभा से प्रत्याशी खड़ा किया है. ऐसा माना जा रहा है कि इससे कहीं ना कहीं नुकसान कांग्रेस को होगा. 2003 में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ रहे थे. उन्होंने महाराष्ट्र की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बैनर तले पूरे 90 विधानसभा में अपने प्रत्याशी खड़े किए थे.
कांग्रेस को हराने में थी अहम भूमिका : 2003 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को कोई खासी सफलता हासिल नहीं हुई थी. मात्र एक सीट चंद्रपुर से नोबेल वर्मा ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से जीते थे. लेकिन कांग्रेस की अजीत जोगी की सरकार को उखाड़ फेंकने में एनसीपी की अहम भूमिका थी. यही वजह है कि इस बार भी आम जनता जेसीसीजे को लेकर वही सोच रखती है. जनता का मानना है कि यदि 2003 के चुनाव की पुनरावृत्ति होगी तो इस बार भी कांग्रेस को नुकसान हो सकता है, लेकिन इस मामले में राजनीती जानकार कुछ अलग ही कहते हैं.
जेसीसीजे से नुकसान को लेकर संदेह :राजनीती के जानकार निर्मल माणिक का कहना है कि 2003 में एनसीपी ने एक सीट जीती थी. लेकिन जब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जेसीसीजे का गठन किया तो उन्होंने बसपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा. जिसका नतीजा ये रहा कि बसपा के दो विधायक बने और उनकी पार्टी ने प्रदेश में पांच सीटों पर कब्जा कर लिया. इस बार की स्थिति कुछ अलग है. इस बार ना तो अजीत जोगी रहे और ना ही जेसीसीजे ने बसपा से गठबंधन किया है. इसके साथ ही न तो देवव्रत सिंह रहे और ना लोरमी विधायक धर्मजीत उनकी पार्टी में है. धर्मजीत सिंह भाजपा में, बलौदा बाजार के विधायक प्रमोद सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए है.