बिलासपुर: पिछले कुछ दिनों से बिलासपुर कानन पेंडारी जू में तीन भालुओं की मौत हो गई है. भालुओं की मौत ने वन्य प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है. प्रबंधन ने भालुओं की मौत के मामले में आईसीएच (Infectious canine hepatitis) संक्रमण को जिम्मेदार ठहराया है. प्रबंधन का कहना है कि संक्रमण से ग्रसित भालुओं की मौत निश्चित है. यह संक्रमण कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है. इससे अब तक भारत के भालू रिसर्च सेंटर आगरा और कानन चिड़ियाघर के लगभग 30 भालुओं की मौत हो चुकी है.
कानन पेंडारी में खतरनाक संक्रमण कोरोना संक्रमण से भी अधिक खतरनाक है ये संक्रमण:पिछले कुछ सालों से विश्व में संक्रमण से सबसे ज्यादा मौतें हो रही है. खतरनाक संक्रमण ने कुछ दिनों से तबाही मचाया हुआ है. इनफेक्शियस कैनाइन हेपेटाइटिसकोरोना से भी ज्यादा खतरनाक संक्रमण है. इस संक्रमण का टीका अब तक तैयार भी नहीं हुआ है. इस संक्रमण का नाम है "इनफेक्सियस कैनाइन हेपेटाइटिस, आईसीएच संक्रमण. यह संक्रमण अगर एक बार लग जाए तो संक्रमित अपनी जान से हाथ धो बैठता है.
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किनको संक्रमित करता है आईसीएच:इनफेक्शियस कैनाइन हेपेटाइटिस (आईसीएच) मुख्यत: शिकार करने वाले मासांहारी जानवर और केनाइन यानी शिकार करने के दौरान शिकारी जानवर जिसके बड़े दांत शिकार के गले में घुसता है, उसे केनाइन कहते है. यह संक्रमण इन्हीं जानवरो में होता है. इस संक्रमण ने अब तक 30 से भी अधिक भालुओं की जान ले ली है. आईसीएच ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के कानन पेंडारी जूलॉजिकल गार्डन (Kanan Pendari Zoological Garden Bilaspur) बिलासपुर के 3 भालुओं की जान ले ली है.
आईसीएच से सबसे अधिक खतरा भालुओं को:कानन पेंडारी जूलॉजिकल गार्डन के एसडीओ संजय लूथर की मानें तो आईसीएस सबसे ज्यादा खतरनाक भालूओं के लिए होता है. भारत में अब तक इससे 30 भालुओ की मौत हो चुकी है. सन 2009 से 2013 के बीच एसओएस आगरा भालू रिसर्च सेंटर में 27 भालुओं की मौत आईसीएच संक्रमण से हो चुकी है. पिछले महीने इस संक्रमण से कानन पेंडारी जूलॉजिकल गार्डन के तीन भालुओं की मौत हुई है. यह संक्रमण अब तक भालुओं के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हुआ है.
मांसाहारी जानवरों में होता है ये संक्रमण:कानन पेंडारी जूलॉजिकल गार्डन के चिकित्सक डॉ. अजीत पांडेय इस विषय में कहते हैं कि, आईसीएच मांसाहारी जानवरों में पाया जाता है, जो शिकार करते हैं और जिनके बड़े दांत सामने होते हैं. लेकिन यह संक्रमण अब तक भालुओं के लिए खतरनाक साबित हुआ है. क्योंकि अब तक इस संक्रमण से केवल भालुओं के मौत के मामले सामने आए हैं. यानी कि यह संक्रमण दूसरे मांसाहार जानवरों के लिए तो खतरनाक नहीं है. लेकिन यह वायरस अगर भालू तक पहुंचता है तो उनकी जान ले लेता है.
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संक्रमित भालुओं में दिखने वाले लक्षण: डॉ. अजीत पांडेय की मानें तो आईसीएच संक्रमण से ग्रसित भालुओं में इसके लक्षण दिखाई देने लगते है. जैसे भालू कुछ दिन सुस्त रहता है फिर खाना छोड़ देता है. संक्रमण से नसों में खून के थक्के पड़ने लगते है और संक्रमण लगने के 10 दिन के अंदर भालुओ की मौत हो जाती है.
क्या सुविधा है आगरा के एसओएस सेंटर में:आगरा बियर रेस्क्यू फैसिलिटी दुनिया की सबसे बड़ी स्लॉथ बियर रेस्क्यू फैसिलिटी है. उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वन्यजीव एसओएस 1999 में स्थापित हुआ है. यहां वर्तमान में 130 से अधिक सुस्त भालू हैं. एसओएस आगरा, भालू बचाव सुविधा उन्नत अनुसंधान, रोग प्रबंधन करती है. भालू को रेबीज, लेप्टोस्पायरोसिस और संक्रामक कैनाइन हेपेटाइटिस के खिलाफ टीका लगाया जाता है. भालुओं का इस अस्पताल में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, डेंटल सूट, ऑपरेशन थिएटर जैसे आवश्यक उपकरणों के अलावा एक प्रयोगशाला से सुसज्जित है. किसी भी भालू की देखभाल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए यहां आवश्यक उपकरण भी हैं.