गौरेला पेण्ड्रा मरवाहीःगौरेला विकासखंड में समाज कल्याण विभाग के भ्रष्टाचार का खुलासा इसमें अधिकारियों के साथ संलिप्त हितग्राही जैन सिंह एवं दिव्यांग मितान रामप्रसाद ने कैमरे के सामने कर दिया है. उन्होंने स्वीकार किया कि किस तरीके से 50000 में से 30000 वसूली के रुपए अफसरों तक पहुंचाया. यह पूरी कहानी छत्तीसगढ़ दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना की लाभ देने में किए गए वसूली से संबंधित है.
दिव्यांगों के प्रोत्साहन राशि में अफसरों की बंदरबांट अधिकारियों के साथ सांठगांठ का हुआ खुलासा
आरोप है कि बलरामपुर समाज कल्याण विभाग के शासकीय कर्मचारी और अधिकारियों की सांठगांठ में दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना का लाभ देने में हितग्राहियों से अवैध वसूली की जा रही है. योजना में सेंध लगाते हुए समाज कल्याण विभाग ने योजनाबद्ध तरीके से दिव्यांग मितान से सांठगांठ किया. पहले से शादीशुदा लोगों का योजना लाभ के लिए चयन किया.
उपसंचालक स्तर से तय किया गया कि लाभान्वित की राशि का 50% उप संचालक एवं 5000 प्रति हितग्राही दिव्यांग मितान को दिया जाएगा. योजना अनुसार दिव्यांगों को चेक मिलने के बाद दिव्यांग मितान उनके पास पहुंचकर साहब को रुपए देने की बात कही. जिसके बाद प्रति हितग्राही 50000 में से 30000 दिव्यांग मितान ने हितग्राहियों से वसूल कर डिप्टी डायरेक्टर को सुपुर्द कर दिया.
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कैमरे के सामना हुआ मामले का खुलासा
हितग्राही जैन सिंह एवं दिव्यांग मितान रामप्रसाद ने कैमरे के सामने इस लेन देन को कबूला. हालांकि सरपंचों ने मामले से साफ इंकार किया. उनके अनुसार रामप्रसाद उनके पास आकर हितग्राहियों के लिए आवेदन पर हस्ताक्षर लिया था. इसके बाद उन्होंने हस्ताक्षर कर दिया. हितग्राही जैन सिंह का विवाह उमरिया में फरवरी 2021 में ही हो चुका था. नियमानुसार इस तरह वे योजना का फायदा नहीं उठा सकते. इसलिए दोनों हितग्राहियों को मिले 50 - 50 हजार कुल 1 लाख की राशि में से 60000 ले लिया गया. सेवा सिंह का विवाह 5 वर्ष पूर्व ही हो चुका है.
उसे भी इस योजना से लाभान्वित किया गया. उससे भी 30000 की राशि ले ली. दिव्यांग गेंदलाल ने 50000 की प्रोत्साहन राशि पाने के बाद दोनों ही कर्मचारियों को रुपए देने से इनकार कर दिया. दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत प्रत्येक हितग्राही को 50 हजार दिए जाने के प्रावधान है. दिव्यांग मितान ओमप्रकाश इस बात को स्वीकारा कि प्रति हितग्राही 30000 ली गई. उसने कहा कि साहब के कहने पर ही मैंने रुपए लिए और साहब को दे दिए. वहीं, इस पूरे मामले में समाज कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अरविंद गेडाम ने अपने उपल के आरोपों को निराधार बताया.