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बिलासपुर : जीवन यापन के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं ये आदिवासी

आदिवासी परिवारों के लिए ये महुआ फल जीवन यापन करने का एक महत्वपूर्ण साधन है. ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में भालुओं के अलावा जंगली सूअरों का भी डर बना रहता है.

जीवन यापन के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं ये आदिवासी

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Published : Apr 17, 2019, 12:02 AM IST

बिलासपुरः मरवाही के आदिवासी परिवार जीवन यापन करने के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं. ये आदिवासी महुआ फल बीनने जंगल का रुख कर रहे हैं. जहां उन्हें जंगली जानवरों का सामना करना पड़ रहा है.

जीवन यापन के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं ये आदिवासी

हालांकि, आदिवासी परिवार के मुखिया जंगली जानवरों से बचने के लिए तीर धनुष अपने पास रख परिवार की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. दरअसल, इन दिनों महुआ फल का सीजन चल रहा है. जिसका संग्रह करने के लिए मरवाही इलाके के आदिवासी परिवार जंगलों का रुख कर रहे हैं.

आदिवासी परिवारों के लिए ये महुआ फल जीवन यापन करने का एक महत्वपूर्ण साधन है. ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में भालुओं के अलावा जंगली सूअरों का भी डर बना रहता है.

बच्चे भी रहते हैं मौजूद
जंगल में महुआ संग्रहित करने के दौरान छोटे बच्चे भी मौजूद रहते हैं. जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता है. वहीं इन आदिवासियों की मानें तो ये इनका रोज का काम है. उन्होंने बताया कि कई बार ऐसी नौबत भी आ जाती है जब उन्हें भालुओं को खदेड़ना पड़ता है.

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