बिलासपुर:भाई-बहन का रिश्ता अनमोल रिश्तों में से एक है. भाइयों की कलाई पर जब बहनें राखी बांधती हैं, तो उनसे बदले में रक्षा का वचन मांगती हैं. कहते हैं राखी भाइयों की कलाई पर जब सजती है, तो उनकी उम्र भी बढ़ती है. रक्षासूत्र प्यार, जिम्मेदारी और ख्याल की निशानी भी है. इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से सब त्योहार फीके पड़ गए हैं और इसका असर रक्षाबंधन पर भी पड़ा है. छत्तीसगढ़ में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई जिलों में लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है. बहनें भाई के घर नहीं जा सकती और न ही भाई बहनों के घर आ सकते हैं. ऐसे में ये बंधन जुड़ा रहे, राखी भाइयों के पास पहुंच जाए इसका जिम्मा उठाया है डाकियों ने.
घर से दूर रहने वाले भाइयों को रक्षासूत्र भेजने के लिए बहनें पोस्ट ऑफिस में घंटों लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं. तो वहीं बहनों की राखियों को लेने भाई भी डाक घर पहुंच रहे हैं. कोरोना ने भले ही भाई-बहनों को दूर कर दिया हो, लेकिन डाक विभाग ने बहनों की प्यार वाली राखी भाइयों तक पहुंचाने की पूरी तैयारी कर ली है. डाक विभाग ती तैयारियों को देखकर लग रहा है कि इस बार भले शारीरिक दूरी की मजबूरी हो लेकिन बहनों की भेजी डोर भाइयों तक पहुंचेगी जरूर.
पोस्टमेन बने कोरोना वॉरियर्स
डॉक्टर, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों की तरह पोस्टमेन भी इन दिनों कोरोना वॉरियर बने हुए हैं. बहनों की खत और राखियां घर-घर तक पहुंचाने का काम करने वाले डाकिए बताते हैं कि वे सभी सावधानी के साथ अपनी जिम्मदारी निभा रहे हैं. शासन-प्रशासन के निर्देश के मुताबिक ही सभी अपना दायित्व पूरा कर रहे हैं.
लिफाफों को किया जा रहा है सैनिटाइज
डाक विभाग ने इस बार समय से राखियों को पहुंचाने की जिम्मेदारी ली है. इस बार विभाग ने कोरोना काल को देखते हुए विशेष पहल की है. राखियों और खतों के लिए स्पेशल वाटरप्रूफ लिफाफे तैयार किए गए है. जिससे बारिश में भी ये नहीं भीगेंगे. राखी भेजने के लिए अलग से काउंटर भी बनाया गया है. इस बार सबसे खास बात ये भी है कि रक्षाबंधन को देखते हुए रविवार को भी दफ्तर को खुला रखा जाएगा और राखियां इस दिन भी भाइयों तक पहुंचाई जाएगी. सुरक्षा के लिहाज से लिफाफों के बंडल को सैनिटाइज भी किया जा रहा है.