Railway Station Stall Workers Upset: ट्रेन रद्द होने से रेलवे वेंडर्स के सामने बेरोजगारी का संकट - स्टॉल संचालक
Railway Station Stall Workers Upset छत्तीसगढ़ में लगातार ट्रेनों के कैंसिल होने के चलते यात्री परेशान हैं. उनके साथ ही अब प्लेटफार्म पर स्टॉल लगाकर सामान बेचने वाले दुकानदारों की भी परेशानी बढ़ गई है. इन स्टॉल कर्मचारियों के सामने अब राजगार का संकट खड़ा हो गया है. इसके पीछे क्या वजह है, आइये समझते हैं. Bilaspur News
बिलासपुर:छत्तीसगढ़ में लगातार रेलवे द्वारा यात्री ट्रेनों को कैंसिल करने के चलते यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रेलवे स्टेशनों में भी अब पहले की तरह यात्रियों की आवाजाही कम हो रही है. ऐसे में जो प्लेटफार्म में फूड स्टॉल और अन्य सामग्रियों की दुकान लगाते हैं, उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. उनका व्यवसाय यात्रियों के भरोसे ही चलता है, लेकिन कम यात्री होने से उनके स्टॉल की बिक्री भी कम हो गई है.
कर्मचारियों के सामने बेरोजगारी के संकट: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में लगातार रेलवे लाइन से जुड़े कई काम कराए जा रहे हैं. इसके चलते लगातार ट्रेनों को कैंसल किया जा रहा है. जिससे यात्रियों का स्टेशन आना कम होता जा रहा है. ऐसे में यात्रियों के भरोसे चलने वाली दुकानों में अब ग्राहक नहीं आने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब होती जा रही है. उन्हें कर्मचारी निकालने पड़ रहे हैं, जिससे उन सभी के सामने बेरोजगारी का संकट है. रोजगार नहीं होगा तो कैसे अपना परिवार चलाने में दिक्कतें आएंगी.
कई स्टॉल हो चुके है बंद: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जोनल स्टेशन में प्लेटफार्म नंबर एक पर जन आहर चलाने वाले स्टॉल संचालक चिरेंद्र ने बताया, "उन्हें सालाना 45 लाख से ऊपर रेलवे को लाइसेंस फीस देना होता है, इसके अलावा उनके पास 20 कर्मचारी हैं. रोजाना वे 500 लोगों का खाना तैयार करते हैं. लेकिन पिछले 3 सालों में ट्रेनों के कैंसिल होने से यात्रियों का स्टेशन में आना-जाना नहीं होता. इस वजह से कोई भी उनके स्टाल से बिक्री नहीं के बराबर हो गई है. वहीं रोजाना खाना तैयार करना पड़ता है. कई बार ऐसा होता है कि जितना खाना तैयार किए हैं, उतने भी ग्राहक नहीं होते हैं और पूरा खाना वेस्ट हो जाता है. इसका भी नुकसान अलग से हो रहा है."
"स्टॉल संचालकों ने रेलवे को पत्र लिखकर लाइसेंस फीस में छूट देने की मांग की है. लेकिन इस मामले में रेलवे अधिकारी उन्हें केवल आश्वासन ही देते आ रहे हैं. अभी तक कोई भी छूट उन्हें नहीं मिली है. रेलवे से हमें उम्मीद है कि उनके सालाना किराये में उन्हें छुट मिलेगी."- चिरेंद्र, स्टॉल संचालक
स्टालों का किराया चुकाने का टेंशन: रेलवे स्टेशन के स्टॉल मालिक को आर्थिक नुकसान के साथ ही रेलवे को सालाना ठेके में मिले स्टालों का किराया चुकाने का भी टेंशन है. दूसरी ओर ट्रेनों के रद्द होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिससे गिनती के यात्री ही प्लेटफार्म में नजर आते हैं. यात्री और ट्रेनों की संख्या कम होते ही जोनल स्टेशन के स्टाल संचालकों की चिंता बढ़ गई है. स्टॉल संचालक अब स्टॉल बंद करने को मजबूर हैं. स्टाल, फूड प्लाजा और जन आहार केंद्रों में बिक्री ठप हो गई है. अब तो हालात यह है कि लाइसेंस शुल्क तक नहीं निकल पा रहा है. वहीं उनको अब अपने स्टॉल में रखे सामानों के खराब होने की भी चिंता सता रही है.
कर्मचारियों को काम से निकालना मजबूरी: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कई स्टेशनों में हजारों की संख्या में स्टॉल हैं. इन स्टॉलो में ठेकेदार सहित कर्मचारी रखे गए हैं. कर्मचारी तीन शिफ्ट में यहां काम करते हैं. बड़े स्टालों और फूड जोन सहित जन आहर में 20 से लेकर 25 तक कर्मचारी रखे गए हैं. वहीं छोटे स्टालों में 2 और इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं. पिछले तीन सालों से लगातार ट्रेनों का कैंसल होने क् चलते दिन-ब-दिन स्टालों में बिक्री कम होती जा रही है. स्टेशन के स्टॉलों में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों को वेतन देने के साथ ही मेंटेनेंस और रेलवे को लाइसेंस फीस देना पड़ता है. बिक्री कम और खर्च ज्यादा होने से स्टाल संचालकों को अब मजबूरन कर्मचारियों को निकलने की मजबूरी हो गई है. वे चाहते नहीं कि किसी कर्मचारी को काम से हटाएं, लेकिन काम नहीं होने के साथ ही खर्च बढ़ने से उन्हें ऐसा फैसला लेना पड़ रहा है.