बिलासपुर :जांजगीर चांपा में एक शख्स ने अपने पूरे परिवार को मार डाला. इस घटना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आरोपी को अपनी छोटी बेटियों पर भी दया नहीं आई. लेकिन इस हत्याकांड के बाद अब बड़ा सवाल ये है कि क्यों अपने जिगर के टुकड़ों को कोई शख्स इतनी बेरहमी से मौत दे सकता है. क्योंकि हत्याकांड की तस्वीरें देखने के बाद हर कोई यही कह रहा है कि ये किसी जल्लाद का काम है ना कि बच्चों के पिता का.लेकिन जिस व्यक्ति पर हत्या के आरोप लगे वो मानसिक रुप से बीमार था.इसलिए जिस समय उसने अपने पूरे परिवार को खत्म करने की ठानी तो ना तो उसे बच्चों का स्नेह याद रहा और ना ही सुख दुख की साथी पत्नी का चेहरा.
मानसिक बीमार के बर्ताव पर रखें नजर : इस मामले में मानसिक रोगी पिता की मनोदशा कुछ ऐसी थी जैसे किसी अपराधी की होती है.उसे अपने सामने दिख रहा हर शख्स दुश्मन दिखता है.फिर चाहे वो छोटा बच्चा ही क्यों ना हो.इसलिए वो हत्या जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटते.ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जहां इलाज के दौरान मानसिक रोगी आक्रामक हो गए और किसी की जान ले ली.इसलिए परिवार के लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भले ही मानसिक रोगी का इलाज चल रहा हो,लेकिन उसकी किसी भी हरकत और व्यवहार को नजर अंदाज ना करें.थोड़ी सी भी शंका होने पर तुंरत बिना देरी डॉक्टरी सलाह जरुर लें.
हर मानसिक रोगी है अलग :जांजगीर चांपा के जिस मानसिक रोगी पिता ने अपना परिवार उजाड़ा उसका इलाज बिलासपुर के अस्पताल में चल रहा था. बावजूद इसके इलाज के दौरान ही उसने आक्रामक तरीके से अपने ही परिवार पर हमला किया और सभी की जान ले ली.लेकिन हर मानसिक रोगी का व्यवहार एक जैसा नहीं होता. कई मानसिक रोगी सड़कों पर भटकते हैं.वो भले ही किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते.लेकिन इसका मतलब ये नहीं है वो आक्रामक नहीं हो सकते. ऐसे रोगियों का इलाज संभव है. उनके व्यवहार और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर उनका इलाज किया जा सकता है. इलाज के दौरान ही ये पता चल सकता है कि कौन सी हरकत करने पर रोगी आक्रामक हो सकता है.
कौन से मानसिक रोगी होते हैं गुस्सैल ? : मानसिक रोगियों के बारे में ईटीवी भारत ने मनोचिकित्सक डॉक्टर आशुतोष तिवारी से जानकारी ली.जिसमें डॉक्टर आशुतोष ने बताया कि मानसिक रोगियों में कौन से रोगी सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं. डॉक्टर आशुतोष तिवारी के मुताबिक "ऐसे मरीज डरे हुए और आशंकित रहते हैं.मरीज को लगता है कि उसे कोई भी नुकसान पहुंचा सकता है. उनके परिचित या अनजान लोग उनके पीछे पड़े हैं. उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं. उन पर जादू टोना किया जा रहा है.साथ ही मरीज झूठा शक करता है कि उसे कोई जान से मारना चाहता है."
बाइपोलर इफेक्टिव डिसॉर्डर से ग्रसित मरीज होते हैं आक्रामक : डॉक्टर आशुतोष के मुताबिक बहुत सी ऐसी बीमारियां होती है जब वो अपने एक्टिव फेज में रहता है.बाइपोलर इफेक्टिव डिसॉर्डर हुआ,या मेनिया का भी केस हुआ.कई बार नशे के कारण भी ऐसे जघन्य हत्याकांड के केस हो जाते हैं. तो हम किसी बीमारी को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं.लेकिन कई बार ऐसी स्थितियां पैदा होती है जब मरीज अपने सोचने समझने की शक्ति खो देता है.