बिलासपुर: सेंदरी गांव में हर साल की तरह इस साल भी पूरा गांव हरेली पर्व को मनाने और इसकी परंपरा को निभाने की तैयारी में जुटा था. तभी अचानक लोगों को जानकारी मिली कि एक ही परिवार की तीन बहनों की नदी में डूबने से मौत हो गई. तीनों बहनें नदी के उस हिस्से में नहाते हुए पहुंच गईं, जो लगभग 20 फीट गहरा था. यही वजह है कि तीनों बहन खुद को संभाल नहीं पाईं और नदी में डूबने से तीनों की जान चली गई. परंपरा निभाने की मजबूरी के साथ ही सरकारी सिस्टम की लापरवाही और कमजोरी ने एक हंसते खेलते परिवार की खुशियां उजाड़ दी.
डूब रही थीं पांच बहनें, दो बचीं:तीनों लड़कियां पटेल परिवार के दो भाइयों की बेटी थीं. बड़े भाई नंद कुमार पटेल की एक बेटी 11 साल की धनेश्वरी पटेल और छोटे भाई सुशील पटेल की दो बेटी 18 साल की पूजा और 13 साल की ऋतु पटेल की मौत हुई है. पटेल परिवार के दोनों भाइयों की पांच बेटियां हरेली पर्व के दिन नदी में नहाने गईं और पांचों नहाते वक्त डूबने लगीं. आसपास के लोगों ने दो बच्चियों को डूबने से बचा लिया, लेकिन तीन की इस हादसे में मौत हो गई.
हरेली के दिन इस वजह से नदी में नहाने गईं लड़कियां:हरेली तिहार छ्त्तीसगढ़ का सबसे पहला पर्व होता है. इस दिन किसान हल और दूसरे कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं. सेंदरी गांव में वर्षों से यह परंपरा रही है कि यहां पानी की टंकी में पानी सप्लाई के लिए लगे बोरिंग पंप की पूजा करने के बाद ही पानी की सप्लाई शुरू की जाती है. इसके बाद ही पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है. सोमवार के दिन हरेली पर्व होने की वजह से बोरिंग पंप स्टार्ट नहीं किया गया था. लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंचा. यही वजह है कि घर में पानी न होने की वजह से पटेल परिवार की 5 लड़कियां नदी नहाने चली गईं और उनके साथ यह हादसा हो गया.
खेती किसानी से ही होता है परिवार का गुजर बशर:पटेल परिवार खेती किसानी का काम करता है. इसी से उनका परिवार चलता है. मरने वालो में दो सगी बहन थी और एक चचेरी बहन. नंदकुमार पटेल और सुशील पटेल एक ही घर में रहते हैं. बड़े भाई नंद कुमार पटेल की 4 बेटियां और एक बेटा है. वहीं छोटे भाई सुशील पटेल की तीन बेटियां और दो बेटे हैं. अब इनका परिवार अधूरा हो गया है. परिवार पहले से ही काफी गरीब था, उस पर दोनों भाइयों के पांच–पांच बच्चे. जैसे तैसे इनका परिवार रोजी मजदूरी और खेती किसानी का काम कर अपना पालन पोषण कर रहा था. अब परिवार की तीन बच्चियों के जाने के बाद इन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. बच्चियां पढ़ाई में काफी तेज थी और बड़ी लड़की पूजा कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी.
सिस्टम की लाचारी या भ्रष्टाचार:गांव में ज्यादातर लोगों ने बताया कि जिस जगह बच्चियां नहाने गई थी, वहां से अवैध उत्खनन करने वाले रात में देर तक रेत का अवैध उत्खनन करते हैं. दिन में यह काम बंद रहता है. अवैध खनन की वजह से अरपा नदी के उस हिस्से में 20 फीट का गड्ढा हो गया था, जिसमें तीनों बहनों की डूबने से मौत हुई. गांव वाले लगातार अवैध रेत उत्खनन की शिकायत शासन प्रशासन तक पहुंचाते रहे, बावजूद इसके माइनिंग डिपार्टमेंट के साथ ही पूरा सिस्टम इस अवैध उत्खनन को नहीं रोक पाया.