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कृषि कानून को समझाने बिलासपुर सांसद ने खोला मोर्चा, लोगों के बीच पहुंचे - Bilaspur letest news

बिलासपुर सासंद अरुण साव ने केंद्र सरकार की नए कृषि कानून का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि ये कानून किसानों के हित में है. इससे किसान आत्मनिर्भर बनेंगे. इस कानून से देश का विकास तेजी से होगा.

MP of bilaspur
सांसद अरुण साव

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Published : Sep 30, 2020, 4:45 PM IST

Updated : Sep 30, 2020, 5:46 PM IST

बिलासपुर: केंद्र सरकार की नई कृषि कानून को लेकर भले ही देशभर में विरोध के स्वर क्यों ना उठ रहे हो, लेकिन देशभर में सत्ताधारी बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता बिल के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे नजर आ रहे हैं. इसी कड़ी में बिलासपुर से बीजेपी सांसद अरुण साव ने भी बिल के समर्थन में लोगों तक अपने संवाद को पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. सांसद अरुण साव इन दिनों जनसमूह में जाकर लोगों को बिल की बारिकियों को समझाने के प्रयास में जुटे नजर आ रहे हैं.

जनसमूह के बीच दे रहे कृषि कानून की जानकारी

सांसद अरुण साव के मुताबिक कृषि कानून भारतीय किसानों को आत्मनिर्भर और संबल बनाने वाला और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला कानून है. यह किसानों को बंधनों और शोषण से मुक्ति दिलाने वाला कानून है. इससे एक ओर जहां किसानों की आय दोगुनी होगी तो वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. अब किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिलेगा. उन्होंने कहा कि आजादी के पहले इस देश में किसानों की उपज की खरीदी किस तरह होती थी, यह हम सभी जानते हैं. एक व्यक्ति पूरे गांव की उपज को अकेले खरीदता था. इसलिए उस गांव के सभी किसानों की निर्भरता उसी व्यक्ति पर होती थी.

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नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इतना बड़ा परिवर्तन

आजादी के बाद 1960-70 के दशक में किसानों पर सालों से हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ वातावरण तैयार हुआ. फलस्वरूप 1971 में तात्कालिन सरकार ने कृषि मंडी अधिनियम लाया, लेकिन किसानों की स्थिति तब भी नहीं सुधरी. 1991 में आर्थिक व्यवस्था में सुधार और उदारीकरण की बातें हुईं, लेकिन नतीजा जैसे का तैसा रहा. साव ने कहा कि आजादी के इतने सालों बाद पहली बार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने कृषि क्षेत्र में इतना बड़ा परिवर्तन लाया है.

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देश भर में हो रहा कानून का विरोध

बता दें कि नए कृषि कानून को लेकर देश भर में उठ रहे विरोध का मुख्य वजह एमएसपी बताया जा रहा है. विरोध करने वालों का कहना है कि सरकार एमएसपी को लेकर मौखिक आश्वासन दे रही है, लेकिन कानून में यह लिखित उल्लेखित नहीं है. विरोध करने वालों ये भी कह रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिवार्यता को सरकार बिल में संशोधित कर लाए तो हम इसका स्वागत करेंगे.

Last Updated : Sep 30, 2020, 5:46 PM IST

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