बिलासपुर में कौमी एकता की मिसाल है मरीमाई मंदिर और कब्रिस्तान, गंगा जमुनी तहजीब का बेजोड़ उदाहरण - तालापाड़ा इलाके निवासी शेख नजीरूद्दीन
Bilaspur News: बिलासपुर में मजहबी तालमेल का जबरदस्त उदाहरण देखने को मिलता है. एक ही स्थान पर देवी का मंदिर है और मुस्लिमों का कब्रिस्तान है. दोनों धर्म के लोग काफी अरसे से मिलकर गंगा जमुनी तहजीब को निभाते आ रहें हैं. जिससे कौमी एकता को मजबूती मिलती है.
बिलासपुर: तालापारा इलाके में एक अलग तरह का माहौल आपको मिलेगा. यहां मजहब को लेकर सभी एक दूसरे का सम्मान करते हैं.कोई किसी को ठेस नहीं पहुंचाता है. हर किसी की नजर में यहां सम्मान झलकता है.
यहां के लोगों की मंदिर की घंटी से सुबह होती है: बिलासपुर के तालापारा में रहने वाले सभी समुदाय के लोगों की नींद मंदिर की घंटी की आवाज से खुलती है. मरीमाई माता मंदिर में लोग सुबह से ही पूजा करने पहुंच जाते हैं. यहां पर मंदिर तीन तरफ से कब्रिस्तान से घिरा है. बावजूद इसके आजतक यहां के लोगों के बीच कभी विवाद की स्थिति नहीं बनी. दोनों धर्म के लोग अपने अपने नियम का पालन करते हैं. एक दूसरे की मदद करते हैं.
शाम अजान की आवाज से ढलती है: मंदिर की घंटी से यहां के लोगों की नींद खुलती है और अजान की आवाज सुनकर शाम ढलती है. यही यहां की गंगा जमुनी तहजीब है. सबसे बड़ी बात ये है कि, यहां के लोग एक दूसरे के पर्व और त्योहार में भी शामिल होते हैं. मरीमाई का इलाका मुस्लिम बहुल इलाका है. लेकिन इस इलाके का नाम मरीमाई माता के नाम से है. इस नाम को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कभी एतराज नहीं जताया.
पहला पड़ाव हिंदू देवी स्थान, अंतिम पड़ाव कब्रिस्तान: तालापाड़ा इलाके निवासी शेख नजीरूद्दीन का कहना है कि, हिंदू धर्म का बच्चा जब छोटा रहता है. तो उन्हें मंदिर लेकर आते हैं. जब मुस्लिम धर्म के लोग मरते हैं. तो उन्हें कब्रिस्तान में दफनाया जाता है. वो कहते हैं कि, दोनों ही धर्म के लिए यह इलाका काफी महत्वपूर्ण है. यहां मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसा तो है ही इसके अलावा हिंदू धर्म की मरीमाई का मंदिर है. जिसमें साल में दो नवरात्र पूजा और गर्मी में चिकनपॉक्स की पूजा होती है.
सुरक्षित है ये इलाका:बिलासपुर में केवल दो जगह ही मरीमाई का मंदिर है और दोनों में सबसे पुरानी मंदिर तालापारा इलाके में है. मरीमाई श्मशान की देवी कहलाती हैं. गर्मी में इनकी पूजा का विशेष महत्व है. इनकी पूजा इसलिए होती है कि, इलाके में में हैजा, चिकनपॉक्स जैसी लाईलाज बीमारी नहीं फैले.मंदिर समिति के अध्यक्ष उमाशंकर जायसवाल कहते हैं कि, मंदिर कई सौ साल पुराना है.शहर में हैजा जैसी बीमारियां फैलती थी. लेकिन मंदिर के इलाके में यह बीमारी प्रवेश भी नहीं कर पाती थी. आज भी इस इलाके में रहने वाले उन बीमारियों से सुरक्षित हैं.
मां काली साक्षात यहां हैं: मरीमाई को श्मशान की देवी काली का रूप माना जाता है. उनकी मरीमाई के रूप में पूजा की जाती है. मरीमाई देवी की प्रतिमा स्वयंभू है.