बिलासपुर: झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. शासन की यचिका में आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें राज्य शासन के पांच गवाहों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था. इस मामले में शासन की ओर से एक और आवेदन पेश कर झीरम आयोग के आने वाले फैसले पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी.
बता दें कि झीरम घाटी हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता, पुलिस जवान के मामले में राज्य शासन ने न्यायिक आयोग का गठन किया था. मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल की अध्यक्षता में चल रही थी. आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई. इस दिन शासन की तरफ से पी. सुंदरराज की गवाही हुई. इसके बाद आयोग ने राज्य शासन के तरफ से आए आवेदन जिसमें कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तुलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे निरस्त कर दिया गया.