बिलासपुर:याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि "अनैतिक संबंध के आधार पर पति के स्थानांतरण का दबाव और उस पर अनैतिक संबंध होने का आरोप, इसके साथ ही कार्यालय में जाकर हंगामा करना पत्नी की क्रूरता को साबित करता है." इस मामले में फैमिली कोर्ट के तलाक मंजूरी के फैसले को हाई कोर्ट ने बरकरार रखते हुए पत्नी की याचिका खारिज कर दी है.
क्या है पूरा मामला: धमतरी के कुरूद में सब इंजीनियर ने साल 2010 में रायपुर की रहने वाली एक विधवा महिला से शादी की थी. विवाह के बाद कुछ सालों तक सब कुछ ठीक चलता रहा. इस दौरान उनकी एक संतान भी हुई. लेकिन कुछ सालों में ही पति पत्नी के रिश्ते में खटास आने लगी. पत्नी ने पति पर परिवार से अलग रहने का दबाव बनाया और पति दबाव में आते हुए माता-पिता से अलग रहने लगा. लेकिन इसके कुछ समय बाद महिला ने अपने अफसर पति पर सहकर्मी के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाने लगी. इसी बात पर दोनों के बीच आए दिन विवाद होता था.
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घर में दुर्व्यवहार और ऑफिस में हंगामा करती थी पत्नी: पत्नी अपने पति और सहकर्मी पर अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए ऑफिस पहुंचकर हंगामा करने लगी. आए दिन पत्नी अपने पति के साथ घर में दुर्व्यवहार और ऑफिस में हंगामा करती थी. इसके अलावा प्रदेश के एक मंत्री से पति के अनैतिक संबंध के आधार पर परिवार बचाने पति का ट्रांसफर करने की भी अर्जी पत्नि ने लगाई थी. इन सब बातों से परेशान होकर सब इंजीनियर पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई. जिसपर सुनवाई करते हुए फैमिली कोर्ट ने तलाक मंजूर कर लिया.
फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट ने रखा बरकरार: पति की अर्जी पर फैमिली कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच की दरार को मानते हुए पति के तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया. इस फैसले के खिलाफ पत्नी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंच गई और तलाक के फैसले को निरस्त करने की मांग की. मामले में कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस केस से जुड़े सभी पहलुओं को देखते हुए और सबूत के आधार पर माना कि, पति के लिए पत्नी का व्यवहार क्रूरता है. पति पर अवैध संबंध का आरोप और हंगामा यह सब क्रूरता की श्रेणी में आता है. मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पत्नी की याचिका खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.