छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, असफल प्रेमी की आत्महत्या पर प्रेमिका नहीं होगी जिम्मेदार - छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
Bilaspur High Court Big decision: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने असफल प्रेमी की आत्महत्या मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. अब ऐसे मामलों में प्रेमिका जिम्मेदार नहीं होगी. कोर्ट ने राजनांदगांव के एक शख्स के आत्महत्या के बाद उसकी प्रेमिका के याचिका पर सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया.
बिलासपुर:अक्सर ऐसा देखा जाता है कि प्यार में असफलता के बाद प्रेमी आत्महत्या कर लेता है. ऐसे में प्रेमिका कई मामलों में दोषी ठहराई जाती है. हालांकि अब ऐसा नहीं होगा. हाल ही में बिलासपुर हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने असफल प्रेमी के आत्महत्या मामले में प्रेमिका को जिम्मेदार नहीं होना बताया है. अब ऐसे मामलों में महिलाओं को हो रही परेशानी से राहत मिलेगी.
ये है मामला: दरअसल, ये मामला राजनांदगांव जिला का है. यहां रहने वाले अभिषेक नाम का शख्स एक युवती से प्रेम करता था. 7 साल तक दोनों में प्रेम संबंध था. जब प्रेमिका ने उससे नाता तोड़ा और किसी और से प्रेम करना शुरू कर दिया तो प्रेमी ने आत्महत्या कर ली. इतना ही नहीं प्रेमी ने आत्महत्या के पहले सुसाइड नोट भी लिखा था. सुसाइड नोट में प्रेमिका और उसके नए प्रेमी के साथ ही प्रेमिका के भाई पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था.
हाईकोर्ट ने आरोपों को किया निरस्त: इस मामले में पुलिस ने सुसाइड नोट को साक्ष्य मानकर प्रेमिका और अन्य के खिलाफ धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया था. इस मामले में प्रेमिका ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई में निचली अदालत ने आरोपी को सही पाया था. इसके बाद धारा 306 के तहत सुनवाई शुरू की थी. आरोप तय होने से परेशान होकर याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की. साथ ही अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को रद्द करने की मांग की. पुनरीक्षण जांच के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगे धाराओं को निरस्त कर दिया.
क्या कहा हाईकोर्ट के जज ने: वहीं, इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने कहा कि, "यदि कोई प्रेमी प्रेम में असफल होने के कारण आत्महत्या करता है. यदि कोई छात्र परीक्षा में अपने खराब प्रदर्शन के कारण आत्महत्या करता है. यदि कोई क्लाइंट अपना केस खारिज हो जाने के कारण आत्महत्या करता है. तो ऐसे मामलों में महिला, परीक्षक, वकील को उकसाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता. कोर्ट की एकल पीठ के सामने मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह पाया कि गवाहों के बयान आवेदकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप तय करने के लिए अपर्याप्त हैं.
इस पूरे मामले में अब हाईकोर्ट ने प्रेमिका को राहत दी है. साथ ही ऐसे मामलों में प्रेमिका को दोषी नहीं ठहराने की बात कही है.