बिलासपुर :छत्तीसगढ़ में बीजेपी 15 साल तक सरकार में रही. 15 साल बाद कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत की लाकर बीजेपी को सत्ता से बाहर किया.इसे संयोग ही कहेंगे कि 15 साल तक राज करने वाली बीजेपी 15 सीटों में सिमट गई. 5 साल तक विपक्ष में रहने के बाद अब बीजेपी छत्तीसगढ़ में सत्ता पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के सपोर्ट और एप्रोच को देखकर ये लगता है कि प्रदेश में स्थानीय मुद्दों को छोड़कर केंद्र के काम को गिनाया जा रहा है. केंद्र के बड़े नेता रैली और जनसंवाद तो कर रहे हैं.लेकिन बीजेपी के 15 साल के काम को जनता के सामने नहीं रख रहे.
राज्य की बातें कम,केंद्र की ज्यादा :पिछले 1 साल से बीजेपी केंद्रीय नेताओं के साथ मंत्रियों को लगातार छत्तीसगढ़ भेज रही है. ये नेता और मंत्री जहां आम जनता की नब्ज टटोल रहे हैं, वहीं कार्यकर्ताओं को आगामी लोक सभा चुनाव को लेकर कई टिप्स दे रहे हैं. पिछले 1 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार बार छत्तीसगढ़ आ चुके हैं.वहीं केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ ही कई केंद्रीय मंत्री और केंद्रीय राज्य मंत्री भी हर महीने कहीं ना कहीं किसी न किसी कार्यक्रम में शामिल हुए हैं. ये नेता राज्य की बात कम और केंद्र की बातों का बखान ज्यादा करते हैं.जो इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि राज्य में बीजेपी सरकार की वापसी से ज्यादा केंद्र की मोदी सरकार को बरकरार रखने के लिए काम हो रहा है.
क्यों अहम है केंद्र के लिए छत्तीसगढ़ ? :छत्तीसगढ़ का निर्माण साल 2000 में हुआ था. पहला लोकसभा चुनाव 2004 में हुआ. प्रदेश में पहले चुनाव से ही अब तक सभी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई है. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में हर बार बीजेपी 8–9 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर लेती है. यही कारण है कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी अपने इस जमीन को बचाए रखना चाहती है. बीजेपी के नेताओं सहित केंद्रीय मंत्रियों के दौरे ने इस बात को साबित भी किया है.