बिलासपुर सिम्स में दो मरीजों का एक साथ कॉर्निया और लैंस का सफल ट्रांसप्लांट
Bilaspur CIMS बिलासपुर सिम्स में दो मरीजों का एक साथ कॉर्निया और लैंस का सफल ट्रांसप्लांट किया गया. दोनों को नई जीवन मिल है. ये दोनों पहले देख नहीं पाते थे. ऑपरेशन के बाद दोनों के आंखों की रोशनी वापस आ गई.
दो मरीजों का एक साथ कॉर्निया और लैंस का सफल ट्रांसप्लांट
बिलासपुर:बिलासपुर सिम्स मेडिकल कॉलेज में दो मरीजों का एक साथ सफल ऑपरेशन किया गया है. दानदाता से मिले नेत्रदान से कॉर्निया के दो मरीजों को नई जिन्दगी मिली है. नए साल पर सिम्स अस्पताल के नेत्र रोग विभाग ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. एसकेएमएस अस्पताल में भर्ती दो मरीजों के आंख की जटिल बीमारी का सफल इलाज किया गया है. नेत्रदान से मिले कॉर्निया और लैंस का सफल ट्रांसप्लांट किया गया है. इससे दो लोगों को नई जिन्दगी मिली है.
सिम्स अस्पताल ने दी जानकारी: इस बारे में बिलासपुर सिम्स अस्पताल के उप अधीक्षक विवेक शर्मा ने जानकारी दी कि एक 60 साल के मरीज की दाहिनी आंख से दिखाई नहीं दे रही थी. लगातार उसके आँखों से पानी गिरता था. नेत्ररोग विभाग की ओपीडी में इसकी जांच की गई. जांच में पाया गया कि मरीज की पुतली में मवाद जम गया है. इसे चिकित्सकीय भाषा में कॉर्निया में घाव होना कहते हैं. डॉक्टर की टीम ने सफल ऑपरेशन कर उन्हें फिर से देखने लायक बनाया है.
दो लोगों को मिली नई जिन्दगी: सिम्स के नेत्रबैंक में नेत्रदान के बाद अस्पताल ने दो मरीजों को तत्काल ट्रांसप्लांट के लिए फोन किया. मरीज की सहमति होने पर सिम्स के डॉक्टरों के द्वारा कॉर्निया ट्रांसप्लांट के साथ ही मरीज की आंख में मोतियाबिंद का भी ऑपरेशन कर लेंस ट्रांसप्लांट किया गया. इसके बाद मरीज के आंखों का संक्रमण हट गया. मरीज के आंखों की रोशनी वापस आ गई. बताया जा रहा है कि ये दोनों मरीज लंबे समय से मोतियाबिंद होने के कारण देख नहीं पा रहे थे. दोनों को अब नई जिन्दगी मिल गई है.
दानदाताओं के कारण लोगों को मिल रही नई जिन्दगी:समाज में इस समय देहदान की लोगों से अपील की जा रही है. दानदाताओं के देहदान से कई जिंदगी फिर से जीने लायक हो गई है. पिछले दिनों भी ऐसा ही एक ऑपरेशन किया गया था, जिसमें मरीज के चेहरे का ऑपरेशन किया गया था. मरीज के बिगड़े चेहरे को सुधार कर उसकी खूबसूरती वापस लाई गई थी. देहदान के लिए लगातार डॉक्टरों की अपील और दानदाताओं के मौत के बाद उनका देह दान किया जाता है. देहदान वाले अंगों के कईयों को नया जीवन मिल रहा है. सिम्स मेडिकल कॉलेज में अक्सर मरीज इस स्थिति में पहुंचते है जब उनके शरीर का कुछ हिस्सा काम नहीं करता. ऐसे कई मरीजों को सिम्स में नया जीवन मिला है.