Chhattisgarh election 2023: आम आदमी पार्टी में एक से अधिक उम्मीदवारी, इस समस्या से कैसे निपटेगी आप पार्टी ?
Chhattisgarh election 2023: छत्तीसगढ़ में चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी एक्टिव मोड में हैं. हालांकि पार्टी के लिए अपने ही नेताओं को खुश करना बड़ी चुनौती साबित होने वाली है. क्योंकि एक ही क्षेत्र में कई कार्यकर्ता अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. टिकट मिलने के बाद दूसरे नाराज नेताओं का असर पार्टी पर पड़ सकता है.
बिलासपुर:छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव है. चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी सहित अन्य पार्टियों ने कमर कस ली है. जल्द ही चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया जाएगा. इस बीच प्रदेश में आम आदमी पार्टी जनता को अपने पाले में लेने की पूरी कोशिश कर रही है. अब तक दो बार आप पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया है. इस बीच कई वायदे भी केजरीवाल ने छत्तीसगढ़ की जनता से किए हैं. बीजेपी और कांग्रेस की ही तरह आप पार्टी भी 90 विधानसभा में लोगों के बीच पहुंच चुनाव प्रचार कर रही है.
एक क्षेत्र से कई दावेदार:दरअसल, छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी 90 विधानसभा में उम्मीदवार उतारने जा रही है. इससे साफ है कि आने वाले समय में आम आदमी पार्टी प्रदेश में अपनी पैठ जमाने में कामयाब हो सकती है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आम आदमी पार्टी में भी अब एक-एक विधानसभा में टिकट के कई दावेदार हैं. किसी एक को टिकट मिल जाए, तो दूसरे उम्मीदवार की नाराजगी का सामना पार्टी को करना पड़ सकता है. पार्टी के बड़े नेताओं के नाराज होने से पार्टी के प्रदर्शन पर भी आने वाले समय में फर्क पड़ सकता है. ये असर पार्टी पर नेगेटिव असर डालेगा.
10 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है पार्टी: आम आदमी पार्टी ने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. कुल 10 उम्मीदवारों की घोषणा आप पार्टी की ओर से की गई है. बाकी 80 उम्मीदवारों की घोषणा भी जल्द ही पार्टी की ओर से कर दी जाएगी. बिलासपुर में टिकट की उम्मीद रखने वाले उम्मीदवारों में उम्मीदें बढ़ने लगी है. जिले में आप के नेता अब जिले के 6 विधानसभाओं में सक्रिय हो गए हैं. सभी विधानसभा सीटों का दौरा कर अपनी उम्मीदवारी ठोक रहे हैं. कार्यकर्ता जहां एक ओर पार्टी को अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर जानता को पार्टी के प्रति भरोसा भी दिला रहे है.
नेताओं को खुश करना बड़ी चुनौती: जिले में कांग्रेस–बीजेपी की तरह एक-एक विधानसभा में आप पार्टी के दो तीन उम्मीदवार दावेदारी ठोक रहे हैं. ऐसे में पार्टी को भी अब यह सोचना पड़ेगा कि किसकी टिकट काटी जाए, किस पर भरोसा किया जाए.आप पार्टी दिल्ली और पंजाब के विधायकों को प्रदेश में भेज कर जनता और उम्मीदवारों का मन भी टटोल रही है. लेकिन आप पार्टी में उम्मीदवारों की अब लाइन लगने से पार्टी के पर्यवेक्षक भी चिंता में पड़ गए हैं कि आखिर कौन उम्मीदवार पार्टी के लिए बेहतर होगा. यानी कि आप पार्टी के सामने नेताओं को खुश करना बड़ी चुनौती है.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की राय:इस बारे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट शैलेंद्र पाठक का कहना है कि "दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि पार्टी अब देश के सभी राज्यों में चुनाव लड़ने पहुंच रही है. छत्तीसगढ़ में भी आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. लेकिन दिल्ली, पंजाब के मुकाबले छत्तीसगढ़ का परिदृश्य थोड़ा अलग है. क्योंकि यहां पर क्षेत्रीय वार्ड को ज्यादा बढ़ावा मिलता है. ज्यादातर यहां पर लोग भाजपा और कांग्रेस को वोट देना पसंद करते हैं. इसके अलावा तीसरी पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी, बसपा और कई पार्टियां हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इन छोटी पार्टियों का परफॉर्मेंस छत्तीसगढ़ में बहुत अच्छा तो नहीं रहा है. लेकिन चुनाव में थोड़ा बहुत असर जरुर पड़ा है. आप ने जिस तरह से शुरुआत की है और अब जो स्थित बन रही है, उससे चुनाव में पार्टी के प्रति जनता को अपने पाले में रखने के लिए पार्टी को अपनी छवि बरकरार रखनी पड़ेगी.
एक्टिव मोड में आप:बता दें कि चुनाव को लेकर आप पार्टी एक्टिव मोड में है. जनता के बीच पहुंच कर पार्टी के नेता उन्हें अपने पाले में कर रहे हैं. साथ ही लुभावने वादे भी करते नजर आ रहे हैं. इस बीच 16 सितंबर शनिवार को आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान छत्तीसगढ़ के बस्तर में पहुंच रहे हैं. यहां वो भव्य सभा को संबोधित करेंगे. बस्तर में सभा के माध्यम से भी आप पार्टी जनता को अपने पाले में लेने की कोशिश करेगी. क्योंकि कहते हैं कि छत्तीसगढ़ की सियासत का रास्ता बस्तर से होकर जाता है.