पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगी आग, ऑटो ड्राइवर्स के साथ जनता की भी बढ़ी मुसीबतें - डीजल के बढ़ते दाम से बढ़ी मुश्किले
छत्तीसगढ़ के तीन प्रमुख शहरों की करें तो यहां बीते एक साल में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 25 से 30 रुपये तक की वृद्धि हुई है. जिससे न सिर्फ वाहन चालक बल्कि पैसेंजर की भी कमर टूट चुकी हैं. इन तीन शहरों में बीत एक साल में नार्मल ऑटो का किराया लगभग दोगुना हो गया है.
ऑटो ड्राइवर्स के साथ जनता की भी बढ़ी मुसीबतें
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Published : Jun 5, 2021, 12:17 PM IST
बिलासपुर: लॉकडाउन और कोरोना महामारी के कारण धीमी पड़ी आर्थिक गतिविधियों से परेशान जनता को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. बढ़ती महंगाई से घर का बजट बिगड़ने लगा है. पिछले एक साल में पेट्रोल के दाम में लगभग 30 रुपये का अंतर आ गया है. वहीं, डीजल के भाव एक साल में लगभग 28 रुपये बढ़े हैं.
ऑटो किराया ने किया जीना मुहाल
बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों की वजह से शहर के ऑटो चालकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तो लॉकडाउन में 1 साल से काम धंधे का ना चलना ऊपर से पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी. रोजाना 300 से 400 कमाने वाले ऑटो चालक अब अपनी रोजी तक नहीं निकाल पा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर ट्रेन और बस का परिचालन बंद है. जिससे यात्री भी कम आ रहे हैं. यात्रियों की कमी के कारण ऑटो चालकों को सवारी मिलना भी मुश्किल हो रहा है.
ऑटो का किराया हुआ महंगा
शहर के एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए ज्यादातर लोग ऑटो से सफर करते हैं. लेकिन पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों ने ऑटो का सफर भी महंगा कर दिया है. लोगों को 10 रुपये की जगह 50 रुपये देकर सफर करना पड़ रहा है.
डीजल की बढ़ती कीमतों का असर बाजार पर भी पड़ रहा है. माल ढुलाई का खर्च बढने से खाद्यान्न और उपभोक्ता सामग्रियों की कीमत भी तेजी से बढ़ रही है. बस और ऑटो चालक इंधन की कीमत बढने का हवाला देकर हर रूट पर 10 से 20 रुपये ज्यादा वसूल रहे हैं. भवन निर्माण सामग्रियों पर भी डीजल के दाम बढ़ने का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. पेट्रोल की कीमत बढने से मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा परेशान है. काम धंधे पर जाने वाला आम मध्यम वर्ग औसतन एक लीटर पेट्रोल प्रतिदिन खपत करता है. इस लिहाज से पिछले एक साल में घर का बजट 800 रुपये प्रतिमाह तक केवल इंधन मद में बढ़ चुका है.