गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही:गौरेला पेण्ड्रा में घोटाले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन NFSM एवं (टरफा) (targeting Rice Fellowship Area) योजना के तहत जिले में दलहन उत्पादन का रकबा बढ़ाने के लिए केंद्रीय मद से प्राप्त 1 हजार क्विंटल से अधिक चना बीज का है. इस बीज को महज कागजों में ही किसानों के बीच फर्जी वितरण कर कृषि अधिकारियों ने राशि हजम कर ली. घोटाले के लिए कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने किसानों का रकबा कागजों में कई गुना अधिक बताकर अधिक बीज देने की फर्जी एंट्री कर योजना में भारी उगाही कर ली. जबकि जिले में प्रदर्शन के लिए निर्धारित क्षेत्र लगभग 1700 हेक्टेयर में से सिर्फ 449 हेक्टेयर क्षेत्र में ही बीज लगाये गये.
योजना के तहत सूबे के 5 जिलों के 500 ग्राम चयनित
गौरेला पेण्ड्रा जिले के मरवाही क्षेत्र में कृषि विभाग ने दलहन की खेती बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न राज्यों में टरफा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत किसानों को मुफ्त बीज, खाद एवं कीटनाशक उपलब्ध कराई जा रही है. रबी फसलों के लिए चल रही इस योजना में चयनित किसानों को सीधे लाभान्वित कराकर योजना का लाभ दिलाया जा रहा है. इसके तहत छत्तीसगढ़ के 5 जिलों के 500 ग्रामों का चयन किया गया है. योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी कृषि विभाग को सौंपी गई है, लेकिन जिन्हें इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई वही इस योजना को पलीता लगाने का काम कर दिया.
अयोग्य किसानों का भी डाल दिया नाम
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के तीनों विकासखंड में यह योजना खस्ताहाल है. टरफा के तहत प्रति विकासखंड क्रमशः 400 हैक्टेयर और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन NFSM के तहत 100 हैक्टेयर चना बीज प्रदर्शन की योजना लागू की गई थी. लेकिन कृषि विभाग के कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर इसे हजम कर लिया. चना बीज वितरण की सूची का हितग्राही किसानों से मिलान करने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. पेण्ड्रा में ज्यादातर किसानों के नाम सूची में तो हैं, लेकिन किसानों को बीज दिया ही नहीं गया. आलम यह है कि कुछ किसानों के पास 1 डिसमिल भी कृषि भूमि नहीं है, पर उनके परिजनों का नाम सूची में डाल दिया गया है.
इस फर्जीवाड़े की तफ्तीश में जब ईटीवी भारत की टीम गौरेला विकासखंड पहंची तो फर्जीवाड़े की परतें खुलने लग गईं. जिन किसानों के पास 89 डिसमिल जमीन है, उनके नाम पर विभाग की सूची में 3 हैक्टेयर से ज्यादा (7 एकड़ से अधिक) भूमि बताकर डेढ़ क्विंटल चना का वितरण बताया गया. ऐसा 1-2 किसानों के साथ नहीं बल्कि कई गांव और अधिकांश चयनित किसानों के साथ हुआ है. मामले में कृषि विभाग के अधिकारी भी अब दबी जुबान से फर्जीवाड़े को स्वीकार करते हैं, पर किन कर्मचारियों ने ऐसा किया है इसके लिए जांच की बात कह रहे हैं. वहीं इस मामले में कलेक्टर का कहना है कि राजस्व विभाग की गिरदावरी रिपोर्ट (जिसमें बोनी का रकबा होता है) में एवं बीज प्रदर्शन के रकबे में आए बड़े अंतर पर जांच की जाएगी. उसके बाद ही मामले में कार्रवाई की जाएगी.
जिले में 40 लाख मूल्य से अधिक का चना बीज बिना वितरण किए ही अधिकारियों ने हजम कर लिया. जबकि कीटनाशक और खाद का हिसाब अब तक उपलब्ध नहीं हो सका है. इतना बड़ा फर्जीवाड़ा बिना जिला स्तर के अधिकारियों की सांठ-गांठ के होना असंभव है. हालांकि जिले के तत्कालीन कृषि अधिकारी मीडिया में गोबर खरीदी घोटाले के पर्दाफाश के बाद से सस्पेंड है और अब उनके कार्यकाल में हुए एक और घोटाले का खुलासा हो रहा है. ऐसे में शासन-प्रशासन को ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उनपर नकेल लगाने की आवश्यकता है, ताकि विभाग में दोबारा इस तरह का फर्जीवाड़ा न हो.