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अब बिन पानी भी लहलहाएगा धान, सूखे में भी भरा रहेगा 'धान का कटोरा' - बिवासपुर किसान

किसानों की परेशानी को देखते हुए शहर के कृषि वैज्ञानिकों ने धान की एक ऐसी प्रजाति विकसित की है जो कम से कम पानी में भी तैयार हो जाएगा और उत्पादन में भी कोई कमी नहीं आएगी.

धान की फसल

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Published : Aug 9, 2019, 10:15 PM IST

Updated : Aug 10, 2019, 3:13 PM IST

बिलासपुर: प्रदेश में बीते कई सालों में धान की खेती में कमी आई है. इससे सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है. किसानों की परेशानी को देखते हुए शहर के कृषि वैज्ञानिकों ने धान की एक ऐसी प्रजाति विकसित की है जो कम से कम पानी में भी तैयार हो जाएगा और उत्पादन में भी कोई कमी नहीं आएगी.

कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की धान की नई

इस विशेष प्रजाति को बारिश में हो रही कमी और किसानों की परेशानी को देखते हुए विकसित किया गया है. वैज्ञानिकों ने अभी प्रयोग के तौर पर अपनी नर्सरी में धान के 30 नई प्रजातियों को लगाया है. धान की यह प्रजाति महज 400 से 600 मि.मी पानी में ही तैयार हो जाती है. जानकारों की मानें तो अकाल की स्थिति में भी 400 से 600 मि.मी तक बारिश हो जाती है.

सूखे से लड़ने की रखती है क्षमता
वैज्ञानिक बताते हैं कि ये धान तकरीबन 100 से 120 दिनों में पक के तैयार हो जाते हैं. धान की ये प्रजाति सूखे से लड़ने की क्षमता रखती है और प्रति हेक्टेयर 40 से 50 क्विंटल उत्पादन भी अनुमानित है. सबसे अच्छी बात यह कि धान की यह प्रजाति जमीन पर अपना प्रतिकूल असर भी नहीं छोड़ती और जमीन की उत्पादकता वैसी की वैसी बनी रहती है.

Last Updated : Aug 10, 2019, 3:13 PM IST

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