बिलासपुर: बालोद जिले की 11 साल की दुष्कर्म पीड़िता की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. पीड़िता ने याचिका में अपने 27 हफ्ते के गर्भ का गर्भपात कराने की अनुमति कोर्ट से मांगी थी. मामले पर सुनवाई करते हुए पीड़िता की जान को खतरा देखते हुए कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति नहीं दी है.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सतीश चंद वर्मा ने हाईकोर्ट में कहा कि उन्होंने मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री से बात की है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पीड़िता और होने वाले बच्चे के जीवनभर का खर्च अब शासन वहन करेगी. साथ ही पीड़िता को हुई मानसिक और शारीरिक परेशानी को देखते हुए शासन मुआवजा भी जल्द ही उपलब्ध कराएगी.
दुष्कर्म पीड़िता को नहीं मिली गर्भापात की अनुमति ये मामला बालोद जिले का है. यहां 11 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था. रेप के बाद दो प्रेगनेंट हो गई. जब उसमें गर्भावस्था के लक्षण दिखाई देने लगे, तब जाकर परिजनों को घटना की जानकारी लगी. पीड़िता के परिजन जब उसे डॉक्टर के पास लेकर गए, तो डॉक्टर ने 20 हफ्ते से ज्यादा का गर्भ होने के कारण कोर्ट से अबॉर्शन की अनुमति लेने की बात कही.
पीड़िता के परिजनों ने इसे लेकर जिला न्यायालय बालोद में याचिका दाखिल की थी, जहां से वे हाईकोर्ट पहुंचे. हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ढाई दिन में ही फैसला सुनाया दिया है. सुनवाई के दौरान रायपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पीड़िता की जान को खतरा देखते हुए गर्भपात नहीं कराने की सलाह दी थी. डॉक्टरों की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर हाईकोर्ट ने गर्भपात की अनुमति नहीं दी है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस कोशी की सिंगल बेंच ने की है.