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बांस और ताड़ की राखियां बढ़ाएंगी भाइयों के कलाई की शोभा

भाई और बहनों की पवित्र प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार को लेकर बाजारों में राखियों की दुकानें सजने लगी हैं. इसी कड़ी में बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लाक अंतर्गत अति संवेदनशील इलाका कार्रमरका और बेलचर में सहायता समूह की महिलाएं इन दिनों बांस और ताड़ की राखियां बना रही हैं.

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Published : Aug 21, 2021, 2:37 PM IST

The women of the 'group' make rakhis in the group
समूह में राखियां बनातीं 'समूह' की महिलाएं

बीजापुरःआज से 2 दिन बाद ही भाई और बहनों की पवित्र प्रेम का वार्षिक पर्व रक्षाबंधन का त्यौहार है. बाजारों में रंग-बिरंगी राखियां सज उठी हैं. पर्व को और अधिक आकर्षक तथा यादगार बनाने की दिशा में नई कारीगरी की राखियां बाजारों में उतार दी गई हैं. त्योहार की महत्ता को देखते हुए बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लाक अंतर्गत कार्रमरका और बेलचर में सहायता समूह की महिलाएं बांस और ताड़ की राखियां बना रही हैं, जो काफी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. इन राखियों के निर्माण में मोती, ऊन रत्न और आकर्षक धागों का इस्तेमाल किया ​जा रहा है.

बीजापुर में राखी बनाने का कार्य कोई काॅरपोरेट नहीं बल्कि भैरमगढ़ ब्लॉक के एक 12 महिला सदस्यों का स्व-सहायता समूह कर रहा है. ये राखियां महिलाएं तैयार कर रही हैं. आजीविका मिशन बिहान के तहत यह पूरा कार्य वृहद स्तर पर चल रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि इन राखियों का बाजारों में ज्यादा डिमांड है. बिहान मार्ट की ओर से इसे ज्यादा से ज्यादा प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है.

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महिला सदस्यों का स्व-सहायता समूह कर रहा बड़ा कामः

समूह की महिला ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से समूह की सदस्यों को राखी बनाने का काम दिया गया है. इसके लिए प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षण भी दिया था. उन्होंने कहा कि इस कारोबार से समूह की महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध हुआ है. कहा कि 16 प्रकार की बांस की राखियां बनाई जा रही हैं. परियोजना प्रबंधक ने बताया कि समूह की सदस्यों को प्रशिक्षण के अलावा अन्य सहायता उपलब्ध कराया गया है. कार्रमरका एवं बेलचर में इन महिला समूहों के लिए 1500 राखियां बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. राखियों का विक्रय बिहान मार्ट में किया जा रहा है. इस कार्य से महिलाओं में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ इनकी काबिलियत भी निखरकर सामने आ रही है.

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