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Edesmetta Encounter: 10 साल बाद भी ऐडसमेटा में न्याय के लिए जारी है जंग

bijapur tribal protest बीजापुर के ऐडसमेटा गोलीकांड को 10 साल पूरे हो गए लेकिन आदिवासियों के जख्म अभी भी हरे हैं. बुधवार को गोलीकांड में मारे गए 8 ग्रामीणों को श्रद्धांजलि दी गई और सरकार के खिलाफ जमकर गुस्सा फूटा. आदिवासियों ने घटना के दोषियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करने पर पूरे बस्तर संभाग को घेरने की चेतावनी दी.

Edesmetta Encounter
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Published : May 18, 2023, 12:14 PM IST

Updated : May 18, 2023, 12:46 PM IST

ऐडसमेटा गोलीकांड को 10 साल पूरे

बीजापुर:चर्चितऐडसमेटा गोलीकांडकी 10वीं बरसी पर पीड़ितों के परिजन और कई गांव के लोग एक बार फिर इकट्ठा हुए और न्याय की मांग की. आदिवासियों ने कहा कि इस घटना को 10 साल पूरे हो गए लेकिन अभी तक दोषी पुलिसकर्मियों और प्रशासन के अधिकारियों को कोई सजा नहीं मिली. आदिवासियों ने एक सुर में कहा कि यदि आदिवासी दोषी होते हैं तो एक दिन के अंदर सजा दे दी जाती है लेकिन पुलिस प्रशासन पर कार्रवाई करने में इतने साल लग रहे हैं.? आदिवासी मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ और घायलों को पचास-पचास लाख मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

आदिवासियों की जान की कीमत क्या 20 लाख रुपये: आदिवासियों की नारजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने मंत्री कवासी लखमा और विधायक विक्रम मंडावी को अपशब्द तक कह दिया.

17 मई 2013 को नक्सली कहकर पुलिस प्रशासन ने अंधाधुंध गोली चला दी. जिसमें 4 बच्चे समेत 8 लोगों की मौत हो गई. उन शहीदों को याद करने विशाल जनसभा का आयोजन किया गया है. सरकार से मांग है कि पूरे छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है. आदिवासियों की गलती होने पर सजा देने में बिल्कुल देर नहीं की जाती लेकिन पुलिस प्रशासन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. संविधान सबके लिए बराबर है. हमें 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है. हमारी जान की कीमत क्या सिर्फ 20 लाख रुपये हैं. सरकार चुप क्यों बैठी है.? न्याय नहीं मिलने पर आंदोलन और उग्र हो जाएगा."- मूलवासी मंच का सदस्य, बुधरू कारम

मंच के एक और सदस्य का कहना है कि कवासी लखमा और विक्रम मंडावी आए थे. उन्होंने कहा कि तुम्हारी मांगे हम पूरा करेंगे. हर बार वे आते हैं और यहीं कहते हैं. चोर तरह की बात कहकर निकल जाते हैं. घुटने टेककर वोट मांगते हैं और निकल जाते हैं.

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कवासी लखमा और विक्रम मंडावी से नाराजगी क्यों ?: साल 2013 में बीजापुर जिले के एडसमेटा में कथित गोलीकांड की घटना हुई. उस समय विपक्ष में कांग्रेस की सरकार थी. कांग्नेस ने ये मुद्दा जोरशोर से उठाया. 2018 में सरकार बनने के बाद कांग्रेस सरकार ने कवासी लखमा के नेतृत्व में एक जांच दल बनाया. ग्रामीणों के लगातार विरोध के मद्देनजर घटना की जांच के लिए न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का भी गठन किया गया. अग्रवाल कमीशन ने सितंबर 2021 में एडसमेटा गोलीकांड की रिपोर्ट राज्य कैबिनेट के सामने पेश कर दी. जिसे 6 महीने बाद विधानसभा में पेश किया गया. इस रिपोर्ट में मृतकों को नक्सली मानने से इंकार कर दिया गया. इसी रिपोर्ट के आधार पर आदिवासी न्याय के लिए 10 साल से लड़ाई लड़ रहे हैं.

मुठभेड़ में मारे गए 8 ग्रामीणों की याद में स्मारक:ऐडसमेटा गोलीकांड की 10वीं बरसी पर मुठभेड़ में मारे गए कारम पांडू, कारम गुड्डू, कारम जोगा, कारम बदरू, कारम सोमलु, कर्मा मासा, पूनम लाकु, पूनेम सोनू को याद किया गया. गंगालूर से लगभग 15 किलोमीटर दूर एडसमेटा गांव में मृतकों की स्मृति में स्मारक तैयार किया गया. जहां सैकड़ों आदिवासी इक्ट्ठा हुए. गोलीकांड में 4 बच्चों समेत 8 लोगों की मौत हुई थी. सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी भी विशाल जनसभा में शामिल होने दंतेवाड़ा से निकली थी लेकिन दंतेवाड़ा पुलिस ने उन्हें रोक लिया.

Last Updated : May 18, 2023, 12:46 PM IST

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