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पूरे परिवार का एकलौता सहारा थे शहीद बोसाराम कारटामी - martyr bosaram kartami

3 अप्रैल को बीजापुर जिले के तर्रेम में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ (bijapur police naxalite encounter) में 22 जवान हुए थे. वहीं 31 जवान घायल हुए थे. नक्सलियों से लोहा लेते हुए एकेली गांव के रहने वाले असिस्टेंट कांस्टेबल बोसाराम कारटामी (martyr bosaram kartami) भी शहीद हुए थे. शहीद बोसाराम परिवार में सबसे बड़े थे. वे अपने पीछे पत्नी, चार बच्चे, बुजुर्ग मां और एक छोटे भाई को छोड़ गए.

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शहीद बोसाराम के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

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Published : Apr 19, 2021, 7:37 PM IST

बीजापुर:3 अप्रैल को बीजापुर जिले के तर्रेम में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ (bijapur police naxalite encounter) में 22 जवान हुए थे. वहीं 31 जवान घायल हुए थे. नक्सलियों से लोहा लेते हुए एकेली गांव के रहने वाले असिस्टेंट कांस्टेबल बोसाराम कारटामी (martyr bosaram kartami) भी शहीद हुए थे. शहीद बोसाराम परिवार में सबसे बड़े थे. वे अपने पीछे पत्नी, चार बच्चे, बुजुर्ग मां और एक छोटे भाई को छोड़ गए.

पूरे परिवार का एकलौता सहारा थे शहीद बोसाराम कारटामी

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

शहीद बोसाराम कारटामी के जाने के बाद से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. घर पर मातम पसरा हुआ है. रो-रोकर सभी का बुरा हाल है. हालत ये हो गई है कि अब इनके आंसू तक सूख चुके हैं. बच्चे मां और दादी से बार-बार पूछते हैं कि पापा कब आएंगे.

परिवार के थे सहारा

शहीद बोसाराम कारटामी के चार बच्चे हैं. जिसमें दो बेटी और दो बेटे हैं. वहीं एक बेटी लक्ष्मी दिव्यांग है. शहीद का एक छोटा भाई भी है जो दंतेवाड़ा में पढ़ाई कर रहा है. परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी शहीद पर थी. अब परिवार के लोग इस बात से चिंतित हैं कि आखिर घर कैसे चलेगा.

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सरकार से मदद की गुहार

शहीद के चाचा बिनेश के शासन-प्रशासन से मदद मांगी हैं. उनका कहना है कि शहीद के जाने के बाद अब परिवार का गुजारा केसे होगा. सरकार बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी ले. वहीं शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी दे. जिससे वो सभी का पालन पोषण कर सकें.

2011 में बने थे सहायक आरक्षक

शहीद बोसाराम कारटामी का जन्म धुर नक्सल प्रभावित गांव एकेली में 5 जून 1982 को जन्म हुआ था. 31 दिसम्बर 2011 को असिस्टेंट कांस्टेबल बने. 3 अप्रैल 2021 को तर्रेम के जंगलों में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिए.

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