बीजापुर : जब भी आपके घर कोई चिट्ठी आती होगी, ये गाना आपके जेहन में जरूर आता होगा...डाकिया डाक लाया, डाकिया डाक लाया. भले ही डाकियों का काम आजकल सोशल मीडिया और फोन कर रहे हों लेकिन उन यादों सी सोंधी महक आपके दिल में अब भी बसी होगी. इस खबर को महसूस करने के लिए हम खुद को कुछ साल पीछे और छत्तीसगढ़ के बीजापुर के धर्मारम लिए चलते हैं.
बीजापुर जिले के पामेड़ के पास है धर्मारम. यहां 25 साल से लोगों को सुख-दुख बांट रहे हैं डाक वाहक गुंडी चंद्रया. 25 साल से ये पोस्टमास्टर सोशल मीडिया से दूर लोगों के दिलों तक संदेश पहुंचाने का काम कर रहा है. आज भी इस पिछड़े इलाके में पोस्ट ऑफिस का काम और चिट्ठियों की परंपरा जिंदा है.
25 साल से बांट रहे हैं चिट्ठी
बस्तर में पोस्टिंग को लेकर सरकारी कर्मचारियों में कालापानी मिलने जैसी धारणा है. लेकिन डाक वाहक गुंडी चंद्रया 25 साल से अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. पामेड़ धर्मारम के डाक वाहक गुंडी चंद्रया हर रोज 20 से 30 किलोमीटर चलकर लोगों को उनके सुख और दुख पहुंचाते हैं.