बीजापुर :बीजापुर में एक शव का अंतिम संस्कार पिछले दो सालों से नहीं किया जा सका है. 19 मार्च 2020 को बीजापुर के गमपुर (Bijapur Gampur Encounter) निवासी ग्रामीण बदरू को सुरक्षा बल और नक्सली एनकाउंटर में गोली लग गई थी. गोली लगने के कारण उसकी मौत हो गई थी. शव परिजनों को सौंप दिया गया था. सुरक्षा बलों ने दावा किया था कि घटना में मृत बदरू 2 लाख रुपये का इनामी नक्सली था. इस दौरान यह आरोप भी लगाया गया था कि वह नक्सलियों की मेडिकल टीम का सदस्य था, साथ ही आईईडी ब्लास्ट में माहिर था. जबकि दूसरी तरफ बदरू के छोटे भाई सन्नू ने आरोप लगाया है कि बदरू को फर्जी एनकाउंटर में मार डाला गया. हालांकि सरकार ने इस पूरे मामले के जांच के आदेश भी दे दिये हैं.
माथे से मिटा सकें नक्सली का दाग इसलिए दो साल से नहीं किया बेटे के शव का अंतिम संस्कार यह भी पढ़ें : बीजापुर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़, नक्सलियों को हुआ बड़ा नकुसान
बदरू का भाई सन्नू बोला-मैं घटना का चश्मदीद, दोनों महुआ चुनने गए थे...
बदरू का छोटा भाई सन्नू बताता है कि वह इस मामले का चश्मदीद गवाह है. पूरी घटना उसके सामने हुई है. वे दोनों जंगल में महुआ चनने गए थे. तभी पुलिस भी मौके पर पहुंची. उसके भाई को पुलिस जवानों ने घेर लिया और उसकी आंखों के सामने गोली मार दी. इसके बाद शव भी अपने साथ ले गए. सन्नू ने घर जाकर घटना परिवार को बताई. जब सन्नू मुख्यालय की तरफ आ ही रहा था कि उसे पता चला कि पुलिस ने बदरू को इनामी नक्सली बता दिया है.
माथे से मिटा सकें नक्सली का दाग इसलिए दो साल से नहीं किया बेटे के शव का अंतिम संस्कार मां की छलक आई आंख, सूनी आंखों से न्याय की उम्मीद में है बदरू की पत्नी...
बदरू के शव को अभी तक रखने के सवाल पर उनकी मां मारको माड़वी की आंखें भर आईं. रुंधे गले से उन्होंने कहा कि पुलिस ने बेवजह नक्सली बताकर उनके बेटे की हत्या कर दी. जब तक इस मामले में न्यायिक जांच नहीं होगी. जब उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक बेटे के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. वहीं बदरू की पत्नी पोदी आज भी सूनी आंखों से न्याय की उम्मीद कर रही है. चार साल पहले ही उसकी शादी बदरू से हुई थी.
माथे से मिटा सकें नक्सली का दाग इसलिए दो साल से नहीं किया बेटे के शव का अंतिम संस्कार जड़ी-बूटियों का लेप लगाकर शव को रखा है सुरक्षित
बदरू के परिजनों का कहना है कि उन्हें मालूम था कि कभी न कभी तो उन्हें न्याय मिलेगा. इसलिए शव का अंतिम संस्कार नहीं किया. लेकिन उनके सामने शव को लंबे समय तक संभाले रखने की चुनौती थी. इसके लिए उन्होंने करीब 6 फीट का गड्ढा खोदकर शव को सफेद कपड़ों में लपेटकर नमक, तेल और कई जड़ी-बूटियों का लेप लगाकर रखा है. मौसम की मार से बचाने के लिए गड्ढों के ऊपर लकड़ी के बत्ते से ढंकने के बाद शेड के तौर पर पॉलिथीन भी लगाई है. फिर शव को मिट्टी में दबा दिया है. हालांकि इतने एहतियात के बाद भी शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है.
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