छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

बीजापुर: बर्तन में बैठ नदी पार कर प्रसूता पहुंची अस्पताल, प्रसव होने तक बच्ची की चली गई थी जान - unborn chilld death

बीजापुर में सिस्टम की लापरवाही ने एक बच्चे को दुनिया में आने से पहले ही मार दिया. उफनती नदी को पार करते हुए गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाया गया था. डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चे की मौत गर्भ में ही हो गई थी, लेकिन परिजन ने डॉक्टर और नर्स पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है.

unborn chilld death
सिस्टम ने ली जान

By

Published : Jul 22, 2020, 5:17 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 6:28 PM IST

बीजापुर: प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती महिला को परिवार के चार लोगों ने बर्तन ( गंज ) से चिंतावागु नदी पार कराया. नदी के इस तरफ गोरला से गर्भवती को भोपालपटनम हॉस्पिटल लाया गया. लेकिन नवजात के आने की खुशी उस वक्त मातम में बदल गई, जब नर्सेज ने उन्हें बच्चे के गर्भ में ही मृत होने की खबर सुनाई. अब परिजन डॉक्टर्स और स्टाफ नर्स पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं. परिजन ने ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को लिखित शिकायत कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

बीजापुर में सिस्टम ने ली मासूम की जान

मिनकापल्ली निवासी हरीश यालम की पत्नी लक्ष्मी यालम गर्भधारण के बाद अपने मायके मीनुर गई हुई थी. 13 जुलाई को प्रसव पीड़ा बढ़ने के बाद जान जोखिम में डालकर परिवार और गांव के चार लोगों ने भोजन पकाने वाले गंज ( बर्तन) में बैठाकर उफनती चिंतावागु नदी को पार कराया. चिंतावागु नदी की धारा और फैलाव ज्यादा होने कारण जान का खतरा ज्यादा था, बावजूद प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को ग्रामीणों की मदद से नदी पार कर गोरला लाया गया.

प्रसव करने में देरी का लगाया आरोप

नदी पार करने के बाद महिला को भोपालपटनम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. परिजनों की खुशी उस वक्त मातम में बदल गई जब उन्हें अस्पताल में मौजूद नर्स ने गर्भ में ही बच्चे की मौत होने की सूचना दी. अब परिजनों ने बच्चे की मौत के लिए उस वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर गोपी किशन और सहयोगी स्टाफ नर्स को जिम्मेदार बताया है. परिजनों के मुताबिक नर्स और डॉक्टर्स डिलीवरी कराने में देरी कर रहे थे. नर्स और स्टाफ लगातार उन्हें जच्चा- बच्चा के स्वास्थ्य होने की सूचना दे रहे थे.

प्रसूता की नहीं की जा रही थी देखभाल

बता दें, 13 जुलाई को गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 14 जुलाई की सुबह पीड़ा बढ़ने पर डॉक्टर ने महिला की जांच की और बताया कि अभी प्रसव का समय नहीं आया है. जिसके बाद शाम को साढ़े 10 बजे महिला का प्रसव कराया गया, जिसमें महिला ने मृत बच्ची को जन्म दिया. परिजन का आरोप है कि प्रसूता की देखभाल भी नियमित तौर पर नहीं की जा रही थी. लगातार डॉक्टर और नर्स जच्चा- बच्चा के स्वस्थ होने की बात कह रहे थे.

पढ़ें-SPECIAL: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में घोटाला, ठेकेदार निगल गया करोड़ों की राशि

इस केस में अब परिजन डॉक्टर और नर्स पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. परिजनों के मुताबिक डॉक्टर और स्टाफ नर्स की लापरवाही से बच्चे की जान गई है. ऐसे में आक्रोशित परिजन लापरवाह कर्मचारियों को सरकारी सेवा से बेदखल करने की मांग कर रहे हैं. वहीं ETV भारत से ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ.रामटेके ने कहा कि परिजनों ने लिखित शिकायत डॉक्टर गोपी किशन और नर्स के खिलाफ की है. परिजनों के शिकायत के आधार पर सभी को शो-काज नोटिस दे दिया गया है. उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

विकास के खोखले दावे

बता दें कि मीनुर से भोपालपटनम की दूरी 15 किलोमीटर है, लेकिन मीनुर और गोरला के बीच चिंतावागु नदी पड़ती है, जिसपर पुल नहीं बना है. इस वजह से बारिश के दौरान लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. छोटे से भोजन पकाने वाली बर्तन में गर्भवती महिला को जान जोखिम में डालकर लाना साबित करता है कि देश और प्रदेश में विकास और तरक्की के दावे खोखले हैं.

Last Updated : Jul 22, 2020, 6:28 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details