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बिना स्मार्टफोन और नेटवर्क के 'पढ़ई तुंहर दुआर' से कैसे होगा बेड़ा पार

बीजापुर में राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई डिजिटल शिक्षा प्रणाली के तहत ऑनलाइन पोर्टल 'पढ़ई तुंहर दुआर' जिले में दम तोड़ती दिख रही है. इस व्यवस्था में सबसे बड़ी दिक्कत एंड्राइड मोबाइल और नेटवर्क समस्या से हो रही है.

'padhai Tuhar Dwar' scheme fails without smartphone and network in Bijapur
'पढ़ाई तुंहर दुआर' योजना हो रही विफ

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Published : Apr 19, 2020, 1:31 PM IST

बीजापुर: सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को अपने घर पर ही रहकर शिक्षा देने के लिए शुरू की गई डिजिटल योजना 'पढ़ई तुंहर दुआर' दम तोड़ती नजर आ रही है. इस व्यवस्था में सबसे बड़ी दिक्कत एंड्राइड मोबाइल नेटवर्क की है. ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं होने और नेटवर्क की समस्या के चलते सभी बच्चे इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. ताज्जुब की बात ये है कि ऑनलाइन पोर्टल पढ़ाई में अब तक पंजीकृत हुए बच्चों और शिक्षकों की जानकारी डीईओ कार्यालय के पास भी नहीं है.

'पढ़ाई तुंहर दुआर' योजना का बच्चे नहीं ले पा रहे लाभ

डिजिटल शिक्षा प्रणाली के तहत शुरू की गई शिक्षा विभाग की योजना ऑनलाइन पोर्टल शिक्षा 'पढ़ई तुंहर दुआर' जिले में दम तोड़ती दिख रही है. इस व्यवस्था में सबसे बड़ी दिक्कत एंड्राइड मोबाइल और नेटवर्क समस्या से हो रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है वहीं किसी के पास है भी तो नेटवर्क की समस्या के चलते बच्चे लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

'स्मार्टफोन नहीं होने से पंजीयन करना चुनौती'

जिला शिक्षा अधिकारी डी. समैया ने ETV भारत को फोन से हुई बातचीत में बताया कि योजना के तहत काम अवश्य शुरू किया गया है और वॉसट्एप मैसेज के जरिए जारी आदेश में सभी शिक्षकों और छात्रों का पोर्टल में पंजीयन कराने के साथ ग्रुप बनाकर ऑनलाइन पढ़ाई संबंधित निर्देश भी जारी किए गए हैं. जारी आदेश पर शिक्षकों ने पंजीयन का कार्य शुरू तो किया है लेकिन छात्रों और उनके अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं होने के चलते शत-प्रतिशत पंजीयन कराना चुनौती है.

90 फीसदी बच्चों तक शिक्षा नहीं पहुंच पा रही दुआर

जिले में लगभग 35 हजार बच्चे सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत हैं. इनमें से 22 हजार बच्चे पोटा केबिन, आश्रम, छात्रावास में पढ़ाई कर रहे हैं. यह बच्चे दूरदराज गांवों के हैं. अधिकतर बच्चों और उनके अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है. ग्रामीण इलाकों में 4G नेटवर्क की भी समस्या है. जिन पालकों के पास स्मार्टफोन है उन्हें पोर्टल के उपयोग और तकनीकी जानकारी नहीं है, ऐसे में 90 फीसदी बच्चों के दुआर तक शिक्षा विभाग की यह योजना नहीं पहुंच पा रही है.

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