बीजापुर :बस्तर में पुलिस नक्सल विरोधी अभियान चला रही है. जिसमें कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. इसी के साथ कई जगहों पर पुलिस नक्सली मुठभेड़ की खबरें भी सामने आई है. जिसमें कई ईनामी नक्सली ढेर भी हुए हैं.हाल ही में नक्सलियों की ओर से अभय ने प्रेस नोट जारी करके पिछले 11 महीने में मारे गए नक्सलियों की संख्या बताई है. प्रेस नोट के मुताबिक पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 132 नक्सली मारे गए हैं.इस प्रेस नोट में अभय ने मारे गए नक्सलियों के लिए सहानुभूति दिखाई है.साथ ही साथ पुलिस कैंप का विरोध करने को कहा है. Naxalites on backfoot in Bastar
बस्तर में नक्सलियों की पैठ :छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग के जिले सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बस्तर के अंदरूनी इलाकों में 3 दशक ने नक्सलियों की गहरी पैठ रही है. देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का बहिष्कार करने वाले नक्सली इन इलाकों में काले झंडे फहराते रहे हैं. साथ ही साथ सरकार के विकास कार्यों का विरोध भी नक्सली अक्सर करते हैं. जिसमें सड़क निर्माण करने वाली एजेंसियां ज्यादा प्रभावित होती हैं. (Bastar Division of Chhattisgarh State)
नक्सलियों को पीछे धकेल रही पुलिस :पिछले कई दशकों से बस्तर में नक्सली आतंक देखने को मिला है.लेकिन अब पुलिस की नीति और सरकार के कोशिशों के बाद नक्सलियों को समझ में आने लगा है कि हथियार उठाकर जंगलों में भटकने से उनका उद्देश्य कभी पूरा नहीं होने वाला है. लिहाजा वो समाज में वापस लौटकर सामान्य जीवन जीना चाहते हैं. इसलिए लोन वर्राटू जैसे अभियान की सहायता से सैंकड़ों नक्सलियों और उनके समर्थकों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है.
छत्तीसगढ़ में हुए बड़े नक्सली हमले :भले ही पुलिस ने नक्सलियों पर इन दिनों शिकंजा कस रखा है. लेकिन नक्सली हमलों का इतिहास देखें तो बस्तर की धरती कई बार जवानों के खून से लाल हुई है.आज हम आपको बता रहे हैं.छत्तीसगढ़ के उन बड़े नक्सली हमलों के बारे में जिनमें जवानों के साथ साथ जन प्रतिनिधि भी शहीद हुए हैं. ( History of naxal attacks in Chhattisgarh)
2010 में शहीद हुए थे सीआरपीएफ के 76 जवान :साल 2010 में केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन ग्रीनहंट का रंग सीआरपीएफ के जवानों के खून से लाल हो गया था. 6 अप्रैल 2010 को सुकमा जिले के ताड़मेटला में हुआ था.इस हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. तकरीबन 1 हजार से ज्यादा नक्सलियों ने घात लगाकर 150 जवानों को घेर लिया, जवानों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं बचा था. इस घटना ने हर किसी को झखझोर कर रख दिया था.