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जवानों ने जान पर खेलकर कराया था सड़क का निर्माण, भ्रष्टाचार ने कर दिया बुरा हाल

जिले और राज्य के अंतिम छोर पर बसे नक्सल प्रभावित पामेड़ गांव में 11 करोड़ की लागत से बनाई गई 9 किलोमीटर लंबी सड़क जो तेलंगाना राज्य को छत्तीसगढ़ से जोड़ती है. निर्माण के एक साल में ही जर्जर हो गई. पहली बरसात में ही सड़क पर 700 से ज्यादा गड्ढे बन गए हैं. विस्तार से पढ़कर जाने कैसे 1200 जवानों ने सुरक्षा देकर कराया था निर्माण.

दो राज्यों को जोड़ने वाली यह सड़क एक बरसात नहीं झेल सकि

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Published : Oct 22, 2019, 12:07 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 3:23 PM IST

बीजापुर : नक्सल प्रभावित क्षेत्र की सड़क गुणवत्ताहीन निर्माण और ठेकेदार की लापरवाही की वजह से निर्माण के एक साल के भीतर ही जर्जर हो गई. सड़क का निर्माण कितना गुणवत्ताहीन था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह सड़क पहली बरसात भी नहीं झेल सकी. सड़क जगह-जगह से जर्जर हो चुकी है. साथ ही इस मार्ग पर पड़ने वाले नाले पर बना एक पुल भी बरसात में क्षतिग्रसत हो गया है.

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सड़क

घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से STF, CRPF, कोबरा बटालियन और जिला पुलिस के 1200 जवानों से सुरक्षा लेकर सड़क का निर्माण कराया था, फिलहाल आलम यह है कि इस सड़क पर वाहन तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है.

क्षेत्र के लिए बहुत अहम है यह सड़क

सड़क का निर्माण जिले और राज्य के अंतिम छोर पामेड़ गांव में हुआ था. पामेड़ तेलंगाना की सीमा से लगा हुआ है. साथ ही इसे घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों मे गिना जाता है. गांव के लोग सालों तक सड़क की सुविधा से वंचित थे. इस सड़क को यहां के मुख्य मांगों में गिना जाता था. 9 किलोमीटर की सड़क तेलंगाना और छत्तीसगढ़ को जोड़ती है.

हर बरसात में टापू बन जाता है पामेंड़
पामेंड़ में सड़क नही होने से जवानों का आवा-गमन प्रभावित होता था. बरसात के दिनों में पामेंड़ टापू में तब्दील हो जाता है. गांव में पदस्थ जवानों को सड़क मार्ग के बजाय हवाई मार्ग के जरिए पहुंचाया जाता है. राशन सामग्री को भी हेलीकाप्टर से ही पहुंचाया जाता है. सड़क बनने के बाद सुरक्षाबलों के साथ ही लोगों को राहत मिलने की संभावना थी, लेकिन खराब निर्माण की वजह से अब यह मुमकिन नहीं है.

सड़क के लिए जवान शहिद
जानकारी के अनुसार इस सड़क निर्माण के बीच जवानों और नक्सलियों में मुठभेड़ भी हुई थी. जिसमे एक जवान शहीद हो गया था.

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ठेकेदार का पेमेंट रोका
कलेक्टर केड़ी कुंजाम ने जानकारी देते हुए बताया कि, 11 करोड़ की लागत से बनी सड़क की पूरी राशि का भुगतान ठेकेदार को नहीं किया गया है. 8 करोड़ 60 लाख रूपए के भूगतान के बाद बाकि राशि को रोक दिया गया है. सड़क के खराब होने की जानकारी के बाद मरम्मत के निर्देश दिए गए है. इसे पूरा करने के बाद ही भुगतान किया जाएगा.

जनप्रतिनिधियों के अपने अपने मत
क्षेत्र के बीजेपी नेता श्रीनिवास मुदलियार ने कहा कि, सड़क का निर्माण बीजेपी शासनकाल में हुआ था. बीजेपी ने कभी विकास के साथ समझौता नहीं किया है. हम सड़क ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने की मांग कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष लालू राठौड़ ने कहा कि, बीजेपी के शासनकाल में बनी इस सड़क में संबंधित विभाग का भ्रष्टाचार साफ दिखाई दे रहा है. हमने क्षेत्र के विधायक से बात की हैं संबंधित विभाग से भ्रष्टाचार में सनलिप्त अधिकारी और कर्मचारी पर कार्रवाई की मांग करेंगे.

PWD विभाग की भुमिका संदिग्ध
जानकारी के अनुसार, सड़क के खराब होते ही प्रशासन ने आनन-फानन में इसे सुधारने का काम शूरू कराया था. लेकिन PWD विभाग के अधिकारियों ने सड़क के मुआयना करना तक ठीक नहीं समझा और सुधार का काम शुरू भी हो गया है. वहीं विभाग के अधिकारी का कहना है कि एक जगह गड्डा हुआ है. जिसकी मरम्मत का काम कराया जाएगा, जबकि तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रहीं हैं.

Last Updated : Oct 22, 2019, 3:23 PM IST

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