बीजापुर: बीते दो दिनों में इंटरस्टेट कॉरिडोर पामेड़ से लगे जारपल्ली में कोरोना के 21 नए संक्रमित मरीज मिले हैं. AP स्ट्रेन की आशंका के बीच मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बी आर पुजारी ने शुरुआती लक्षणों को सामान्य बताया है. लेकिन संक्रमितों की ट्रैवल हिस्ट्री खंगालने पर पता लगा कि सभी तेलांगाना से लौटे हैं. ऐसे में प्रशासन भी अब इस इलाके में टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर ध्यान दे रहा है. चूंकि पूरा बस्तर क्षेत्र नक्सलियों से प्रभावित (Naxalite affected area) माना जाता है. दक्षिण बस्तर के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर ऐसे जिले हैं जो सीधे तेलंगाना या आंध्रप्रदेश से जुड़े हैं. यहां AP N404K कोविड वेरिएंट के मिलने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.
नक्सलियों की इस पूरे इलाके में मजबूत पैठ है. जिस वजह से इस बीहड़ इलाके में कोविड टीकाकरण भी बहुत कम हो पाता है. नक्सलियों की दहशत मेडिकल टीम को जंगलों में जाने से रोकती है. बस्तर के कई नक्सल प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्यकर्मियों को टीकाकरण कराने से मना करने की खबरें भी सामने आई. वहीं बीते दिनों कमकानार में कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मियों के अपहरण की खबर के बाद हालात भी काफी बदले हैं.
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बड़ी संख्या में होता है पलायन
दशकों से बस्तर के आदिवासी जंगलों और नदियों के सहारे अपना भरण पोषण करते रहे हैं. फरवरी के शुरुआत से लेकर जून महीने की पहली बारिश के दौरान दक्षिण बस्तर से पलायन का दौर शुरू हो जाता है. सीधे सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमाओं से तेलांगाना की खम्मम, भूपालपल्ली और मुलगु जिलों में मजदूर जंगलो के रास्ते मजदूरी करने जाते हैं. जिसमें एक बड़ा कारण बस्तर में रोजगार की कमी और मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार है.