बिलासपुर:अक्सर ऐसा देखा जाता है कि धार्मिक आयोजनों में गली-मोहल्लों में तेज आवाज में डीजे बजता है. कई लोगों को डीजे की धुन पसंद आती है तो कई लोग डीजे की आवाज से परेशान हो जाते हैं. डीजे की धुन से कुछ लोगों को हेल्थ संबंधी समस्या होती है. इतना ही नहीं कई जगह पर तो डीजे की आवाज को लेकर मारपीट और हत्याएं भी हो चुकी है. इस बारे में ईटीवी भारत ने बिलासपुर के लोगों की राय ली है. बिलासपुर की जनता ने डीजे को लेकर अलग-अलग राय दी है. हालांकि सभी ने इस बात को स्वीकारा है कि डीजे की धुन से विवाद अधिक होता है.
क्या कहती है बिलासपुर की जनता:बिलासपुर के रहने वाले अनिल तिवारी ने कहा कि "यदि प्रशासन ऐसे साउंड सिस्टम के लिए परमिशन देता है, तो इसकी निगरानी भी करनी चाहिए. 70 डिसिबल से अधिक साउंड बढ़ने पर करवाई करनी चाहिए. लेकिन पुलिस प्रशासन समिति, राजनीतिक संगठन और डीजे साउंड वालों के दबाव और ऊंची पहुंच के सामने डर जाती है. कोई कार्रवाई किए बिना उनके कार्यक्रम को सफल बनाने की व्यवस्था में लगी रहती है." एक अन्य नागरिक राजेश भागवत ने कहा कि "डीजे साउंड यदि धार्मिक आयोजन, विसर्जन या रैली में इस्तेमाल किया जाता है. तो सबसे पहले उसकी आवाज को कम रखना चाहिए. इसके अलावा उनमें धार्मिक गाने बजने चाहिए. क्योंकि ज्यादातर देखा जाता है कि डीजे साउंड वाले धार्मिक आयोजन और विसर्जन के मौके पर भी फूहड़ गाने बजाते हैं. जिसकी वजह से लोगों को तकलीफ होती है. साथ ही धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचता है. कई बार फूहड़ गानों की वजह से भी विवाद बढ़ता है." बिलासपुर के नागरिक नरेश यादव ने कहा कि "डीजे साउंड को बजाना ही बंद करवाना चाहिए. प्रशासन हर बार नियम बनाती है. लेकिन सड़क पर नियम टूटते हैं. डीजे साउंड की वजह से शहर में हर आयोजन, धार्मिक कार्यक्रम में विवाद होता है."